RTI से मिली सूचना ने कोविड योद्धाओं के मुआवजे पर केजरीवाल के दावे को कर दिया झूठा साबित

कोविड योद्धाओं को मुआवज़ा देने को लेकर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने, और खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जो दावे किए हैं, आरटीआई से मिली जानकारी से वे दावे झूठे साबित हुए हैं।

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ऐशलिन मैथ्यू

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, हमेशा अपनी राजनीतिक सफलताओं को "सच्चाई और ईमानदारी की जीत" करार देते रहे हैं और उनकी पार्टी उन्हें ईमानदारी के प्रतीक के तौर पर पेश करती रही है, लेकिन अब वे ऐसी बातें नहीं करते हैं।

अभी हाल में 30 सितंबर, 2022 को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से सामने आया है कि दिल्ली सरकार ने सिर्फ ऐसे 17 परिवारों को एक करोड़ रुपए के मुआवजे को मंजूरी दी है जिन्होंने कोविड -19 रोगियों की देखभाल के दौरान अपनी जान गंवा दी थी।

RTI से मिली सूचना ने कोविड योद्धाओं के मुआवजे पर केजरीवाल के दावे को कर दिया झूठा साबित
RTI से मिली सूचना ने कोविड योद्धाओं के मुआवजे पर केजरीवाल के दावे को कर दिया झूठा साबित
RTI से मिली सूचना ने कोविड योद्धाओं के मुआवजे पर केजरीवाल के दावे को कर दिया झूठा साबित
RTI से मिली सूचना ने कोविड योद्धाओं के मुआवजे पर केजरीवाल के दावे को कर दिया झूठा साबित

हालांकि, 27 सितंबर को केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि “28 कोरोना योद्धाओं” के लिए मुआवजे को मंजूरी दी गई है। आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि “यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने 31 कोरोना योद्धाओं के परिवारों को समान अनुग्रह राशि दी है।“  इस तरह देखें तो जिन परिवारों को मुआवजे की मंजूरी मिली है उनकी संख्या 59 हो जाती है।


बयान के मुताबिक अतिरिक्त 17 आवेदनों को मंजूरी देने का फैसला उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में हुई मंत्रियों के समूह की बैठक में लिया गया।

हालांकि, आरटीआई से मिली जानकारी के नुसार, सरकार को केवल 54 आवेदन मिले हैं, जिनमें से 17 को मंजूरी दे दी है, सात आवेदनों को खारिज कर दिया है और 30 मामले लंबित हैं। यह जानकारी एक आरटीआई कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गए सवालों के जवाब में सामने आई है।

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड -19 के कारण 177 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गई। इससे पहले आरटीआई से मिली जानकारियों से पता चला था कि 56 डॉक्टरों, 13 नर्सों, 16 पैरामेडिकल स्टाफ और 92 सफाई कर्मचारियों की महामारी ड्यूटी के दौरान कोविड -19 मृत्यु हो गई थी।

अप्रैल 2020 में, केजरीवाल ने जोर देकर कहा था कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों की तुलना उन सैनिकों के साथ की जा सकती है जो देश की रक्षा कर रहे हैं। उनकी सेवाओं के सम्मान में, दिल्ली सरकार ने ₹1 करोड़ मुआवजे की घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि अन्य लोग भी हैं जो कोरोना रोगियों की देखभाल कर रहे हैं जिनमें पुलिसकर्मी, नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक, शिक्षक और अग्निशमन सेवा के कर्मचारी शामिल हैं। केजरीवाल ने कहा था, "अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित होता है और कोरोना मरीजों की देखभाल के दौरान उसकी मौत हो जाती है, तो उसके परिवारों को भी ₹1 करोड़ दिए जाएंगे।"

13 मई, 2020 को जारी सर्कुलर के अनुसार, डॉक्टर, नर्स, पैरा-मेडिकल स्टाफ, सुरक्षा/स्वच्छता कर्मचारी, या पुलिस सहित कोई अन्य सरकारी कर्मचारी, चाहे अस्थायी या स्थायी कर्मचारी या किसी भी सरकारी या निजी क्षेत्र में संविदा वाला कोई भी व्यक्ति हो। दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 ड्यूटी के लिए तैनात, ड्यूटी के दौरान बीमारी से संक्रमित होकर अगर उसकी मृत्यु होती है तो उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।

हालाँकि इसकी घोषणा 2020 में की गई थी, लेकिन मुआवजे पर निर्णय लेने के लिए समिति का गठन 2022 में ही किया गया था, जब दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ ने जनवरी 2022 में मुआवजा देने में देरी का विरोध किया था।


आखिरकार, केजरीवाल ने 1 फरवरी, 2022 को बीस महीने बाद घोषणा कि दिल्ली कैबिनेट ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में मंत्रियों के एक समूह के गठन को मंजूरी दी है जो मामलों की जांच करेगी और सिफारिशें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंजूरी के लिए भेजेगी।

जून 2022 तक, दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने केवल 16 परिवारों को राशि वितरित की थी।

दिल्ली सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा घोषित सहायता और मुख्यमंत्री कोविड -19 परिवार आर्थिक सहायता योजना के तहत दी गई सहायता के अतिरिक्त है।

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