RTI से खुलासा, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना से 455 करोड़ रुपये गायब, खड़गे ने महिला सुरक्षा पर बीजेपी को घेरा
खड़गे ने कहा कि हमने पिछले दिनों ही ‘‘बेटी बचाओ’’ पर मोदी जी से तीन सवाल पूछे थे, जिसमें से एक सवाल आंकड़े छिपाने पर भी था, आज आरटीआई के ताजे खुलासे से मोदी सरकार के झूठ की कलई एक बार फिर खुल गई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को दावा किया कि सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से पता चलता है कि सरकार की महत्वाकांक्षी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये ‘गायब’ हो गए हैं। उनके इस दावे पर फिलहाल सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘सूचना का अधिकार कानून से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये ‘गायब’ हो गए हैं। ‘बहुत हुआ नारी पर वार’ वाले भाजपाई विज्ञापन की गूंज पिछले 10 वर्षों से उन सभी महिलाओं की चीखों का उपहास उड़ा रही है, जो बीजेपी राज में और कभी-कभी बीजेपी के गुंडों द्वारा प्रताड़ित हुईं हैं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, ‘‘हाल में पुणे में सरकारी बस में एक महिला का बलात्कार हो या मणिपुर और हाथरस की हमारी बेटियां हों, या फिर महिला ओलिंपिक चैम्पियन हों, बीजेपी राज में महिला सुरक्षा का नामोनिशान नहीं बचा है।’’ खड़गे ने कहा, ‘‘हमने पिछले दिनों ही ‘‘बेटी बचाओ’’ पर मोदी जी से तीन सवाल पूछे थे, जिसमें से एक सवाल आंकड़े छिपाने पर भी था, आज आरटीआई के ताजे खुलासे से मोदी सरकार के झूठ की कलई एक बार फिर खुल गई है।’’
कांग्रेस ने भी कहा कि नरेंद्र मोदी की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना में अरबों की हेराफेरी हुई है। एक आरटीआई में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना के खर्च की जानकारी मांगी गई। सरकार ने जवाब दिया कि 11 साल में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' पर करीब 952 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन जब आरटीआई में खर्च का पूरा हिसाब मांगा गया तो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सिर्फ 497 करोड़ रुपयों की जानकारी दे पाया।
कांग्रेस ने आगे कहा, मतलब- मंत्रालय के पास 455 करोड़ रुपयों का कोई हिसाब ही नहीं है, उन्हें नहीं पता कि 455 करोड़ रुपए कहां उड़ा दिए गए। जिस योजना के बारे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गाते नहीं थकते, उसमें अरबों की ये धांधली गंभीर सवाल खड़े करती है। साफ है कि- नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए महिला सशक्तिकरण जैसे शब्द सिर्फ चुनावी जुमलों तक ही सीमित हैं। इस धोखे के लिए देश की आधी आबादी उन्हें कभी माफ नहीं करेगी।
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