डॉलर के मुकाबले पहली बार 90 के पार रुपया, कांग्रेस ने मोदी को पुराना बयान याद दिलाते हुए कहा- कारण बताएं PM
आज के कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 90 के लेवल को पार कर गया। बुधवार को रुपया 90.13 पर पहुंच गया।

भारतीय करेंसी रुपया ने बुधवार को लगातार तीसरे दिन रिकॉर्ड लो लेवल हिट किया है। इस बार तो रुपया कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले 90 पार हो गया है। आज के कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 90 के लेवल को पार कर गया। बुधवार को रुपया 90.13 पर पहुंच गया।
इससे पहले मंगलवार को भी यह 89.9475 के अपने रिकॉर्ड लो लेवल पर बंद हुआ था। हालांकि, सुबह के कारोबार में रुपया 89.91 पर खुला था, लेकिन जल्द ही बिकवाली के दबाव ने इसे 90 के पार पहुंचा दिया।
रुपये के रिकॉर्ड कमजोर होने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना बयान फिर से याद दिलाया है। कांग्रेस ने वह वीडियो साझा किया है जिसमें मोदी, विपक्ष के नेता रहते हुए, केंद्र सरकार से सवाल करते दिखाई देते हैं:
“वीडियो में पीएम कह रहे हैं कि नेपाल की करेंसी नहीं गिरती, श्रीलंका की करेंसी नहीं गिरती, पाकिस्तान की करेंसी नहीं गिरती, बांग्लादेश की करेंसी नहीं गिरती, लेकिन भारत की करेंसी गिरती जा रही है… आखिर इसका कारण क्या है? इसका जवाब देना पड़ेगा।”
कांग्रेस ने इसी वीडियो के साथ तंज करते हुए पूछा है कि
“आज आखिर क्या वजह है कि भारतीय रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है? देश वही जवाब मांग रहा है, जो कभी नरेंद्र मोदी मांगते थे।”
पार्टी का कहना है कि जिस तीखे सवाल के साथ मोदी ने पिछली सरकार पर निशाना साधा था, आज वही सवाल उनकी अपनी सरकार के सामने खड़ा है। कांग्रेस ने लिखा ये नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री से सवाल है।
रुपये की तेज गिरावट की क्या है वजह?
जानकारों के अनुसार रुपये की तेज गिरावट किसी एक वजह का परिणाम नहीं, बल्कि कई कारकों के संयुक्त प्रभाव का नतीजा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सबसे बड़ा दबाव भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता से पैदा हुआ है। डील पर लगातार सस्पेंस और स्पष्ट संकेतों की कमी ने बाजार की धारणा को कमजोर किया है।
LKP सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसीडेंट (रिसर्च) जतिन त्रिवेदी के मुताबिक, डील में देर ने निवेशकों का भरोसा हिला दिया है, और अब बाजार को केवल आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस प्रगति के संकेत चाहिए।
दूसरा बड़ा कारण है विदेशी पूंजी का तेज बाहर निकलना। दिसंबर के केवल दो कारोबारी दिनों में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 4,335 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इस साल की शुरुआत से अब तक का कुल आउटफ्लो बढ़कर 1,48,010 करोड़ रुपये पहुंच चुका है।
जब विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर रुपये को डॉलर में बदलकर पैसा निकालते हैं, तो स्वाभाविक रूप से रुपये पर बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है।
तीसरा अहम कारण है तेजी से बढ़ता व्यापार घाटा। अक्टूबर 2025 में यह उछलकर 41.7 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसकी सबसे बड़ी वजह सोने का आयात रहा, जो लगभग तीन गुना बढ़कर 14.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। सोना-चांदी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊँची कीमतों ने भारत के इंपोर्ट बिल को और भारी कर दिया है।
इसके अलावा, अमेरिकी टैरिफ के असर से अमेरिका को होने वाले भारतीय निर्यात में 28% की गिरावट दर्ज की गई, जिसने व्यापार संतुलन को और नुकसान पहुँचाया है।
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