ममता के पैर पर प्लास्टर की पीड़ा बीजेपी को, जख्मी शेरनी की तरह और आक्रामक होकर चुनाव लड़ेंगी ममता: सामना

शिवसेना के मुखपत्र सामना ने अपने संपादकीय में पश्चिम बंगाल चुनाव पर कहा है कि ममता बनर्जी के पैर पर चढ़े प्लास्टर की पीड़ा बीजेपी सहन नहीं कर पा रही है। सामना ने इस चुनाव को असली मुद्दों के बजाए जय श्रीराम तक सीमित करने के लिए बीजेपी को लताड़ लगाई है।

सामना अखबार की प्रति
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नवजीवन डेस्क

शिवसेना के मुखपत्र सामना का कहना है कि "जब बाघिन जख्मी हो जाती है तब वो अधिक आक्रामक और हिंसक हो जाती है। इसलिए ममता के जख्म उनके विरोधियों पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़नेवाले हैं।" सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी द्वारा ममता बनर्जी के पैर पर चढ़े प्लास्टर की जांच सीबीआई से कराने की बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की मांग पश्चिम बंगाल चुनाव का सबसे बड़ा मजाक है।

सामना ने ममता के घायल होने का क्रम बताते हुए लिखा है, "प्लास्टर ममता के पैर में चढ़ा है लेकिन चिंता बीजेपी को है। ममता के पैर में लगा प्लास्टर बीजेपी को कम-से-कम दस-बीस सीटों पर जरूर घायल कर सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में पूरी ताकत लगा दी है। ममता को घेरने का हर तरह का प्रयास चल रहा है। ममता की पार्टी में रोज फूट डाली जा रही है। फिर भी पश्चिम बंगाल में ममता का जोर बना हुआ है। पश्चिम बंगाल की लड़ाई ममता बनाम नरेंद्र मोदी की बन चुकी है। इसलिए पूरी दुनिया की निगाह पश्चिम बंगाल के घटनाक्रम पर है।"

सामना ने आगे कहा है कि, "भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में ‘माहौल’ गर्म कर दिया है और हर चुनाव में ऐसा माहौल पैदा करके वे जीतते रहते हैं। इसी प्रकार का माहौल पैदा करके बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 18 सीटें जीतीं।" सामना आगे लिखता है कि ममता की हिंदू विरोधी प्रतिमा बनाकर बीजेपी पश्चिम बंगाल में वोट मांग रही है, जबकि ममता ने इसका जवाब देते हुए ममता बनर्जी ने सभा में ‘चंडी पाठ’ सुना दिया।

शिवसेना ने पश्चिम बंगाल चुनाव को धार्मक और व्यक्तिगत स्तर पर ले जाने के लिए बीजेपी को लताड़ लगाई है। सामना लिखता है, "पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य का चुनाव जय श्रीराम, चंडी पाठ, ममता के पैर के प्लास्टर के आसपास घूम रहा है। यह हमारे लोकतंत्र का विद्रूपीकरण है।" संपादकीय में लिखा गया है कि ममता जब जख्मी पैर के साथ लड़खड़ाते हुए या हाथों में बैसाखी लेकर कार्यकर्ताओं के सहारे प्रचार करेंगी और सहानुभूति बटोरेंगी, तो बीजेपी के लिए दिक्कतें होंगी।


सामना कहता है कि "बीजेपी हल्के मुद्दों पर पश्चिम बंगाल के चुनावी मैदान में उतरी है। प्रधानमंत्री मोदी भी रह-रहकर सिसकते हैं। आंसू का बांध फूट जाता है, ये चलता है, लेकिन ममता के पैर में जख्म होना लोगों की सहानुभूति पाने का प्रयास! हमारे चुनाव अब झूठ और सहानुभूति नामक दो शस्त्रों से लड़े जाते हैं। पश्चिम बंगाल में दोनों तरफ से इन शस्त्रों का टकराव जारी है। सिर्फ फर्क इतना है कि भारतीय जनता पार्टी को वहां जैसे को तैसा उत्तर मिला है।"

संपादकीय में ममता को बाघिन बताते हुए कहा गया है कि, "ममता बनर्जी ने बाघिन की तरह अपने लक्ष्य की ओर छलांग लगाई और बीजेपी की चुनौती को स्वीकार करते हुए नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव का पर्चा भर दिया। ऐसी हिम्मत जिस बाघिन में है उसके सामने कौन क्या टिकेगा?"

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