नवरात्र के पवित्र पर्व को बनाया जा रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार, देश को झुलसाने में लगे संघ-बीजेपी
नवरात्र के पवित्र पर्व के नाम पर देश को सांप्रदायिकता की आग में झुलसाने की संघ-बीजेपी और अन्य संगठनों द्वारा कोशिश की जा रही है। एक खास बात यह है कि उन राज्यों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है जहां आने वाले वक्त में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
![File Photo : Getty Images](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2F4a289d47-0d98-46d5-b1a8-17d38c1e6bfc%2FGettyImages_628104712.jpg?rect=29%2C0%2C965%2C543&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
चैत्र नवरात्र यानि नौ दिन तक चलने वाली शक्ति की उपासना, उत्सव का त्योहार...इसी के साथ शुरु होता है हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष। बीते कई साल से लगभग हिंदुओं के पवित्र उत्सव, चैत्र नवरात्र के साथ ही शुरु होता है मुसलमानों का पवित्र रमज़ान महीना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी दो अप्रैल को ही पूरे देश को रमजान की बधाई दी थी, लेकिन उनकी पार्टी का पितृ संगठन आरएसएस, उसके आनुषांगिक संगठन और उनकी पार्टी बीजेपी के लोग ही प्रधानमंत्री को ग़लत साबित करने में लगे हैं।
प्रधानमंत्री की "शुभेच्छा" को दरकिनार करते हुए कहीं मस्जिदों पर हमला किया गया तो कहीं मांस की बिक्री पर रोक लगाने के बहाने मुसलमानों को प्रताड़ित किया गया, तो कहीं पर दंगा भड़काने की कोशिश की गई। लेकिन इस पूरे पैटर्न में एक खास बात यह देखी गई कि उन राज्यों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है जहां आने वाले वक्त में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।
नवरात्र के पवित्र उत्सव के नाम पर हिंदुत्व का प्रोपगंडा करने और देश को सांप्रदायिकता की आग में झुलसाने की संघ, बीजेपी और दूसरे तमाम दंक्षिणपंथी संगठनों की कोशिश का लेखा जोखा:
राजस्थान: पहले करौली फिर ब्यावर
![नवरात्र के पवित्र पर्व को बनाया जा रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार, देश को झुलसाने में लगे संघ-बीजेपी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2Fcc526d66-9fa9-44d0-8569-ccd4b559ba0c%2FKarauli.webp?auto=format%2Ccompress)
नवरात्र के बहाने सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की सबसे खतरनाक कोशिश की गई राजस्थान में। राजस्थान में अगले साल दिसंबर तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। जानकार मानते हैं कि हिंदू नववर्ष के नाम पर बाइक पर रैली निकालने और कथित तौर पर मस्जिदों पर हमला इसी के मद्देनज़र किया गया था।
पहली घटना हुई राजस्थान के करौली में, जहां शनिवार को संघ और उससे जुड़े संगठनों ने हिंदू नव वर्ष को मौके पर बाइक रैली निकाली। रैली जानबूझकर मुस्लिम बहुल इलाकों से निकाली गई थी, ताकि माहौल को सांप्रदायिक बनाया जा सके। रैली के दौरान उत्तेजक नारे लगाए गए। जिसके बाद दोनों समूहों में झड़प भी हुई। आगजनी और पत्थरबाजी की वजह से कई घायल हुए। करोड़ों की संपत्ति जलकर खाक हो गई।
ऐसे वीडियो वायरल हुए जिनमें हाथ में भगवा लहराते हुए युवाओं का एक समूह मस्जिद में तोड़फोड़ करता नज़र आया। गहलोत सरकार ने तुरत कार्रवाई की और इलाके में धारा 144 लागू की। मामले की संवेदनशीलता की वजह से हम वो वीडियो जानबूझकर नहीं प्रकाशित कर रहे हैं।
दूसरी घटना, अजमेर के ब्यावर में हुई जहां उन्मादी भीड़ नारेबाज़ी करती नज़र आई।सांप्रदायिक तनाव की वजह से एक शख्स की मौत हो गई और उसके दो बेटे घायल हो गए। मुख्यमंत्री गहलोत ने दोनों मामलों कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भी आग्रह किया है कि वो शांति बहाली के लिए एक अपील जारी करें, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने मामले पर सियासत तेज़ कर दी है।
मध्यप्रदेश - कई जिलों में तनाव
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मध्यप्रदेश में हालांकि बीजेपी की ही सरकार है, लेकिन संघ और उसके कारकुन सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले खेल को लेकर पैदा हुए मामूली विवाद को बड़े दंगे का रूप देने की कोशिश की गई। 19 मार्च को हुई इस घटना में आदिवासी समुदाय के दो लोगों की मौत भी हो गई। 16 लोगों को खिलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें से 13 को गिरफ्तार किया गया था।
दूसरी घटना जबलपुर जिले की है जहां संघ का झंडा उतारने गए सरकारी अधिकारी को संघ के कार्यकर्ताओं ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा। हिंदू नववर्ष की शुरुआत में संघ हर जगह, घर से लेकर बाजार तक भगवा झंडा लगाता है। रविवार को जब म्यूनिसिपल्टी के अधिकारी झंडा उतारने लगे तो संघ के कार्यकर्ताओं ने उन्हें दौड़कर पीटा।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के के मिश्रा का कहना था कि यह सब कुछ एक योजना के तहत किया जा रहा है. अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, उसके बाद लोकसभा के चुनाव होने हैं. संघ-बीजेपी ने अभी से माहौल को खराब करना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश : मांस की बिक्री को लेकर तांडव
![गाजियाबाद में मीट की दुकान बंद न करने पर बुलडोजर चलवाने की धमकी देता अधिकारी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2F672818e0-0f9b-434d-b8ce-ba20a48f54dc%2FGhaziabad_Bulldozer_Dhamki.jpg?auto=format%2Ccompress)
चैत्र नवरात्र के पर्व को उत्तर प्रदेश में भी सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। बकायदा फरमान जारी करके दिल्ली से सटे नोएडा और गाज़ियाबाद में मंदिरों के आसपास मांस की बिक्री बंद करवा दी गई है, लेकिन लोगों का कहना है कि इस बहाने मुसलमानों के पूरे आर्थिक तंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि उत्तर प्रदेश, सूचना विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी नवनीत सहगल का कहना है कि ऐसा कोई फरमान जारी नहीं किया गया है।. सहगल ने कहा कि जिन जिलों (नोएडा, गाज़ियाबाद) से इस तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं, वहां के जिला प्रशासन से इस बारे में सफाई मांगी जानी चाहिए।
अंग्रेजी पत्रिका “कारवां” में काम करने वाले एक पत्रकार जो नोएडा में रहते हैं, उनका कहना है कि लोग क्या खाते या पहनते हैं यह तय करने का अधिकार उनके होना चाहिए न कि सरकार को पास।
उधर पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक अन्य जिले में वेज बिरयानी बेच रहे एक शख्स का ठेला कुछ भगवाधारियों ने यह कहकर पलट दिया कि वह मांस बेच रहा है। इसके अलावा गाजियाबाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारी खुलेआम मांस विक्रेताओं को धमकाते दिख रहे हैं कि अगर दुकान खोली तो बुलडोज़र चलवा दिया जाएगा।
कर्नाटक : हिजाब, हलाल और मस्जिद का लाउडस्पीकर
![कर्नाटक में हलाल मीट शॉप पर हमला करने वाले बजरंग दल कार्यकर्ता गिरफ्तार](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2Fa9765125-92b1-410e-bd1b-ce1fea2cfde7%2FHalal_Meat.jpg?auto=format%2Ccompress)
उडुपी में हिजाब विवाद से शुरु हुआ सांप्रदायिक उन्माद नवरात्र के मौके तक आते-आते "हलाल विवाद" तक बदल चुका है। कर्नाटक में हलाल विवाद की शुरुआत हुई 30 मार्च को जब बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने हलाल मीट के खिलाफ प्रचार करना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने एक मुस्लिम मीट विक्रेता तौसीफ को धमकाया और मारपीट भी की। हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता तब से ही हलाल मीट का बहिष्कार करने का अभियान चला रहे हैं।गौरतलब है कि कर्नाटक में भी राजस्थान और मध्यप्रदेश की तरह अगले साल चुनाव होने हैं।
हालांकि इस अभियान का कुछ खास असर नहीं हो रहा है। मैसूरू जिले में सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों ने मुस्लिम दुकानदारों से रविवार को हलाल मांस खरीदकर इसका प्रतिरोध किया।
![नवरात्र के पवित्र पर्व को बनाया जा रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार, देश को झुलसाने में लगे संघ-बीजेपी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2F53603aae-f3be-4b82-882e-de9ea4fce97a%2FSriram_Sene.jpg?auto=format%2Ccompress)
अभी हलाल मीट का विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि श्रीराम सेने और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सरकार से अपील की है कि मस्जिदों में बजने वाले लाउडस्पीकर को बंद किया जाए। सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए बदनाम प्रमोद मुथालिक के संगठन का कहना है कि अगर मस्जिदों में लाउडस्पीकर बंद नहीं किया गया तो महाराष्ट्र की तर्ज़ पर हिंदू संगठन मस्जिदों के सामने अजान और नमाज के वक्त लाउड स्पीकर लगाकर जय श्रीराम और ओम नमो शिवाय का पाठ करेंगे।
महाराष्ट्र : मस्जिद के लाउडस्पीकर पर एतराज़
![नवरात्र के पवित्र पर्व को बनाया जा रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार, देश को झुलसाने में लगे संघ-बीजेपी](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-04%2Fc4e89065-15be-4a6a-bc24-668c0cf30fb4%2FMNS.webp?auto=format%2Ccompress)
महाराष्ट्र की राजनीति में एक तरह का वनवास झेल रहे राज ठाकरे अचानक सक्रिया दिखाई दिए और सरकार से अपील की कि मस्जिदों में लाउड स्पीकर का इस्तेमाल बंद होना चाहिए। मनसे प्रमुख ने धमदी की कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो हिंदू मस्जिद के सामने लाउड स्पीकर लगाकर हनुमान चलीसा का पाठ करेंगे। उनके कार्यकर्ताओं ने कुछ जगह ऐसा किया भी।
जानकारों के मुताबिक राज ठाकरे ने यह बयान बीजेपी के इशारे पर दिया था। शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य, संजय राउत ने राज ठाकरे पर निशाना सधा और कहा कि राज ठाकरे का बयान प्रायोजित था।
दिल्ली : बीजेपी शासित एमसीडी को मांस की बिक्री पर आपत्ति
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देश की राजधानी दिल्ली में नवरात्र के नाम पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें जारी हैं।हालांकि यहां सरकार आम आदमी पार्टी की है, लेकिन म्यूनिसिपल कार्पोरेशन ऑफ दिल्ली (एमसीडी) में बीजेपी का कब्जा है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने सोमवार को बाकायदा आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि नवरात्र तक मांस की दुकानें बंद रखी जानी चहिए। मेयर मुकेश सूर्यान ने अधिकारियों से कहा है कि जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए 2 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक क्षेत्र में आने वाली मांस की दुकानों को बंद करवाया जाये।
हाल ही में केन्द्र सरकार ने, निगम चुनाव से ऐन पहले दिल्ली म्यूनिसिपल कार्पोरेशन अमेंडमेंट बिल – 2022 पास किया है जिसका मकसद दिल्ली की सभी अलग-अलग नगर निकायों को मिलाकर एक करना है। माना जा रहा है कि यह कदम दिल्ली में आप की सत्ता को चुनौती देने और बीजेपी की स्थिति मजबूत करने के लिए उठाया गया है।
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