किसानों के बहादुर संघर्ष को सलाम, कृषि कानूनों का वापस होना उसी का परिणामः सीताराम येचुरी

सीताराम येचुरी ने कहा कि पीएम मोदी ने अपनी साल भर की जिद के कारण सैकड़ों किसानों की मौत पर कोई पछतावा नहीं व्यक्त किया। उन्हें अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ देने के लिए कृषि कानूनों के तानाशाही कदम के कारण लोगों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

केंद्र सरकार के तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्‍सवादी) ने कहा कि तीन कृषि कानून रद्द होना बहादुर किसानों के संघर्ष का परिणाम है।
सीपीआईएम महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने कहा कि हमारे किसानों और उनके बहादुर संघर्ष को सलाम जिसने मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करा दिया है। हमें इस संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले 750 से अधिक किसानों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए, वे हमारे शहीद हैं।

सीताराम येचुरी ने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाया कि झूठे मामलों के जरिए सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के लिए न्याय की तलाश जारी रहेगी। प्रधानमंत्री को अपने व्यापारिक साझेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों के अपने तानाशाही कदम के कारण हुई कठिनाई और परेशानी के लिए माफी मांगनी चाहिए।


येचुरी ने कहा कि काले कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए संसद को एमएसपी पर बेचने के लिए कानूनी अधिकार बनाना चाहिए। मोदी ने अपनी साल भर की जिद के कारण हमारे अन्नदाता की मौत पर कोई पछतावा नहीं व्यक्त किया। मोदी अब भी इन काले कानूनों को सही ठहराते हैं! इस ऐतिहासिक, उत्साही, प्रेरक और बहादुर संघर्ष से सीखने से इंकार करताे हैं।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है। उन्होंने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को शुरू करेंगे। पीएम ने शुक्रवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में कानून वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील भी की है।

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