संभल हिंसाः न्यायिक जांच रिपोर्ट की गोपनीयता पर उठे सवाल, बीजेपी नेताओं के दावों पर SP-कांग्रेस ने घेरा
जहां आयोग के सदस्यों ने बताया कि रिपोर्ट गोपनीय है, वहीं बीजेपी के कुछ नेता इस बात को लेकर बेहद आश्वस्त दिखे कि न्यायिक पैनल द्वारा पेश रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे क्षेत्र में हुए कई सांप्रदायिक दंगों में हिंदुओं को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया।

उत्तर प्रदेश के संभल में पिछले साल हुई हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट की गोपनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट को आधार बनाकर बीजेपी नेताओं ने 'जनसांख्यिकीय बदलाव' का दावा किया है। इस पर सवाल उठाते हुए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि 'गोपनीय' रिपोर्ट पर उनकी टिप्पणियों से पता चलता है कि उन्होंने खुद इसे लिखवाया है।
एसपी सांसद आनंद भदौरिया ने आयोग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चूंकि रिपोर्ट की विषयवस्तु 'गोपनीय' है, इसलिए वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं। हालांकि, उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर संभल में हिंदुओं की आबादी में गिरावट आने के बीजेपी नेताओं के दावों पर सवाल खड़े किये और रिपोर्ट की गोपनीयता पर जवाब मांगा।
आनंद भदौरिया ने कहा, ''गोपनीय रिपोर्ट की जानकारी बीजेपी नेताओं को कैसे हो सकती है? आयोग की रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल और अंत में विधानसभा में पेश की जाती है। अगर बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रियाओं पर विश्वास किया जाए तो यह तय है कि उन्होंने खुद ही यह रिपोर्ट लिखवाई है।''
इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने न्यायिक जांच आयोग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट को लेकर बीजेपी नेताओं के बयानों की आलोचना करते हुए कहा, ''जब यह रिपोर्ट अति गोपनीय है, तो यह लीक कैसे हो गई? आखिर बीजेपी के नेता किस आधार पर रिपोर्ट के बारे में तरह-तरह के दावे कर रहे हैं?''
अजय राय ने कहा कि बीजेपी हर चीज में हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत फैलाने की फिराक में रहती है। ‘‘ऐसा लगता है कि सब कुछ सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।’’ अजय राय ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह रिपोर्ट की गोपनीयता बनाये रखे और इसे भंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई करे।
गौरतलब है कि संभल में पिछले साल 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले की जांच के लिये गठित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। रिपोर्ट को गोपनीय बताया गया है, जिसे कैबिनेट के बाद विधानसभा में पेश किया जाएगा।
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लेकिन उससे पहले ही बीजेपी सांसद और प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि रिपोर्ट निश्चित रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस शहर में जनसांख्यिकीय बदलाव को उजागर करेगी। उन्होंने गैर बीजेपी सरकारों पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ''मैं खुद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रहा हूं और राज्य भर में विभिन्न पदों पर काम कर चुका हूं। हिंदू आबादी में उल्लेखनीय गिरावट का संकेत देने वाली रिपोर्ट्स में जरूर इसका जिक्र होगा। इतनी स्पष्ट बात कैसे नजरअंदाज की जा सकती है।''
दिलचस्प बात यह है कि जहां न्यायिक पैनल के सदस्यों ने बताया कि रिपोर्ट गोपनीय है, वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी के कुछ सदस्य इस बात को लेकर बेहद आश्वस्त दिखे कि न्यायिक पैनल द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे क्षेत्र में हुए कई सांप्रदायिक दंगों में हिंदुओं को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया गया।
बीजेपी के प्रान्तीय प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, ''संभल में देखा गया ऐसा जनसांख्यिकीय परिवर्तन देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा है। संभल में बार-बार हुए सांप्रदायिक दंगों में हिंदुओं को निशाना बनाया गया और उनकी हत्या की गई। इसकी वजह से समुदाय का उस जगह से पलायन हुआ। संभल हिंसा पर न्यायिक पैनल की रिपोर्ट भी यही संकेत दे रही है।''
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