‘पद्मावत’ पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की जीत है : श्याम बेनेगल

फिल्मकार श्याम बेनेगल ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि यह देश में अभिव्यक्ति की आजादी की जीत है।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

फिल्मकार श्याम बेनेगल ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह देश में अभिव्यक्ति की आजादी की जीत है। फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज पर कुछ राज्यों में लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है।

सेंसर बोर्ड में कुछ बदलावों को सुझाने के लिए बनाई गई सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की समिति की अध्यक्षता कर चुके श्याम बेनेगल ने कहा कि एक बार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म को हरी झंडी दिखा दी, तो अब कोई भी फिल्म की रिलीज रोक नहीं पाएगा।

इससे पहेल राजस्थान, गुजरात और हरियाणा की सरकारों ने अपने राज्य में फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज पर बैन लगा दिया था।

श्याम बेनेगल ने कहा कि कुछ संगठनों द्वारा ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ का हवाला देते हुए 25 जनवरी को ‘पद्मावत’ की रिलीज के दिन प्रदर्शन की धमकी के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा, “विवाद खत्म हो चुका है। यह फिल्म पूरे देश में दिखाई जाएगी। सीबीएफसी ने फिल्म को मंजूरी दे ही दी है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी है। कुछ भी इसे रोक नहीं सकता, सिवाय कुछ लोगों के, जैसे करणी सेना या फिर जो कोई भी यह हैं। अगर वे इसे रोकते हैं तो यहां कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा होगी और राज्य सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।” उन्होंने आगे कहा, “स्पष्ट रूप से यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत है।”

‘अंकुर’, ‘निशांत’, ‘मंथन’ और ‘भूमिका’ जैसी सामाजिक रूप से प्रासंगिक फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले 83 वर्षीय निर्देशक बेनेगल फिल्म पर तब भी सवाल उठाए जाने से हैरान हैं, जब निर्माताओं ने स्पष्ट कर दिया कि फिल्म 16वीं शताब्दी के कवि मलिक मुहम्मद जयसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ पर आधारित है।

उन्होंने कहा, “आखिरकार, सीधी सी बात है कि ‘पद्मावत’ एक महाकाव्य है। यह 1526 में लिखा गया था, ना कि कल या आज। हमने साहित्यिक क्लासिक को स्वीकार किया है, जो 1526 से यहां है जब मलिक ने इसे लिखा था। और, अब तथ्य यह है कि कई-कई सालों बाद, कुछ छोटे संगठन यह कह रहे हैं कि यह उनकी भावनाओं को आहत कर रहा है। इसका क्या अर्थ है?”

उन्होंने दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म के लिए सीबीएफसी और सुप्रीम कोर्ट के सही कदम की सराहना करते हुए विवाद पर कहा, “यह शोर मचाने वाले लोगों के छोटे समूह को छोड़कर किसी को भी समझ नहीं आ रहा है।”

सीबीएफसी ने ‘पद्मावत’ को पिछले साल 30 दिसंबर को यू/ए प्रमाण पत्र देने का फैसला किया था। 5 संशोधन के साथ फिल्म का नाम‘पद्मावती’ से बदलकर ‘पद्मावत’ कर दिया गया था। लेकिन, राजपूत संगठन श्री राजपूत करणी सेना अपनी मांग पर अड़ा है कि फिल्म का प्रदर्शित किसी हाल में नहीं होना चाहिए।

इस पर बेनेगल ने कहा, “समस्या फैलाने वाले इन समूहों से निपटने में राज्य सरकारों को कुछ भी रोक नहीं रहा है। जब तक कि वे (सरकारें) खुद ही इन लोगों के साथ मिली ना हों। कुछ भी उन्हें (सरकारों को कार्रवाई से) भला कैसे रोक सकता है?”

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