छुट्टी खत्म, बाबरी, दिल्ली और आधार पर सुप्रीम कोर्ट इस महीने दे सकता है फैसला

गर्मी की छुट्टी खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में कामकाज आज यानी 2 जुलाई से शुरु हो रहा है। 43 दिन की छुट्टी के बाद माना जा रहा है कि कोर्ट इस महीने कई अहम मामलों पर फैसला सुना सकता है। इनमें बाबरी-राम जन्मूभि, दिल्ली की स्वायत्तता और आधार के फैसले अहम हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश का सर्वोच्च न्यायालय 43 दिन की छुट्टी के बाद सोमवार 2 जुलाई से कामकाज शुरु करेगा। गर्मी की छुट्टियों के बाद माना जा रहा है कि इस महीने फैसलों की बारिश हो सकती है। जिन अहम फैसलों पर देश की निगाहें हैं उनमें आधार की अनिवार्यता, दिल्ली को राज्य का दर्जा दिए जाने और बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद हैं।

दिल्ली को राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में तो सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन पिछले साल दिसबंर में इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सबसे पहले बात आधार की। इस समय देस में करीब 118 करोड़ लोग आधार कार्ड बनवा चुके हैं और सरकार की कई योजनाओं में इसका इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में आधार का इस्तेमाल करने वालों के बीच उत्सुकता है कि आखिर सुप्रीम कोर्ट इसके इस्तेमाल पर क्या फैसला देता है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच इस मामले में फैसला सुनाएगी। इस बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस कर रहे हैं। उनके अलावा बेंच में जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण है। इस बेंच ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था।

सुनवाई के दौरान बेंच ने आधार की सुरक्षा को लेकर कुछ चिंताएं भी जाहिर की थीं। केंद्र सरकार ने आधार को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि आधार के लिए लिया जाने वाला किसी भी व्यक्ति का बायोमीट्रिक डेटा हैक नहीं हो सकता। आधार डेटा की सुरक्षा के लिए सरकार ने हर संभव प्रयास किया है और इसे हैक करना संभव नहीं है। वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि आधार की अनिवार्यता निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा। इस केस पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगी, वह भारतीय न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकता है।

इसके अलावा 5 जजों की यही बेंच आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से दायर याचिका पर भी फैसला सुना सकती है। याचिका में अरविंद केजरीवाल ने संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के तहत केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मांगे हैं, साथ ही दिल्ली की स्वायत्तता को कायम रखते हुए केंद्र सरकार के पास इसके नियंत्रण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई पिछले साल 5 दिसंबर को पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

एक और अहम मुकदमा है जिस पर पूरे देश की निगाहें हैं, वह है रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद। इस विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 8 साल पुराने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट आखिरी फैसला इस महीने दे सकता है। हाई कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला देते हुए 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा तीनों पक्षों में समान ढंग से किया था। ये तीनों पक्ष हैं सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़ा।

5 जजों की बेंच ही बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका पर भी फैसला दे सकती है जिसमें मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों के बीच बहु-विवाह यानी एक से अधिक शादी का चलन है। उपाध्याय ने संवैधानिक अधिकारों का हवाला देते हुए इस प्रथा पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। तीन तलाक की ही तरह बड़ी संख्या में महिलाओं ने इसके खिलाफ भी गुहार लगाई है।

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