बिहार में बाढ़ से बर्बादी का मंजर दर्दनाक, किसी तरह जिंदगी बसाने की जद्दोजहद जारी

एक बड़ी आबादी इस समय बाढ़ और बारिश की दोहरी मार झेल रही है। भादो महीने की अंधेरी रात और सड़कों पर जीवन गुजारना इनके लिए मुश्किल हो गया है। प्रशासन द्वारा जो तिरपाल दिया गया था, वह भी फट गया है, जिससे बारिश होने पर सिर और तन छिपाना भी मुश्किल हो जाता है।

फोटोः IANS
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मनोज पाठक, IANS

बिहार के गोपालगंज जिले के कई इलाकों में अब जाकर बाढ़ का पानी कम जरूर हुआ है, लेकिन बाढ़ से हुई बबार्दी का मंजर देख ग्रामीणों को आने वाली जिंदगी को फिर से बसाने की चिंता सताने लगी है। बाढ़ से विस्थापित हुए ऐसे लोग अपने गांव पहुंचकर तबाही के मंजर को देख कर आए, लेकिन अभी भी वे गांव में रहने के लिए जाना नहीं चाहते। वे अभी भी सड़कों के किनारे और बांध पर अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं।

सिधवलिया प्रखंड के सकला गंडक नहर पर सकला और बुचेया गांव के 35 से 40 परिवार शरण लिए हुए हैं। कुछ दिन तो इन्हें सरकार की ओर से भोजन मिला, लेकिन अब वह भी बंद हो गया। आज भी ये लोग सरकार की ओर से मिले तिरपाल से झोपड़ी बनाकर दिन और रात गुजार रहे हैं। कई लोगों के तिरपाल भी फट गए हैं।

इनके सामने बाढ़ और बारिश की दोहरी मार परेशानी का सबब बनी हुई है। भादो महीने की अंधेरी रात और सड़कों पर जीवन गुजारना इनके लिए मुश्किल हो गया है। सकला गांव के राजेंद्र राम कहते हैं कि प्रशासन द्वारा जो तिरपाल दिया गया था, वह भी फट गया है। किसी तरह कपड़ों के सहारे फिर से झोपड़ी बनाकर सिर और तन ढंक रहे हैं। बारिश में तो यह भी सिर और तन छिपाने में असफल हो जा रहे हैं।

इसी गांव की रहने वाली प्रमिला देवी कहती हैं, “गरीबों को देखने वाला कोई नहीं है, बाबू। सबलोग आपना फायदा देखता है। एक महीना से हमलोग यहां हैं। गांव में जितना कच्चा मकान था, सब बाढ़ के पानी में ढह गया है। बाढ़ का पानी तो उतर रहा है, लेकिन अब हमलोग जाएंगे तो कहां जाएंगे?” एक अन्य बाढ़ पीड़ित ने कहा, “मैंने खेत में फसल लगा रखी थी, वो बर्बाद हो गई, लेकिन मुआवजा नहीं मिला। कब मिलेगा कोई नहीं जानता।”

इधर, बरौली प्रखंड के बरौली बाजार में बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। सिधवलिया बाजार पहुंचने के लिए सभी ओर की सड़कें बाढ़ के पानी में तबाह हो चुकी हैं। बाजार तो खुल रहे हैं, लेकिन ग्राहक नहीं पहुंच रहे हैं। व्यवसायी पहले से ही कोरोना से परेशान थे, अब बाढ़ के चलते उनकी कमर ही टूट गई है। अब तो इनके सामने बैंक से लिए गए ऋण चुकाने की नई चिंता खड़ी है।

बिहार में ऐसे तो 16 जिले बाढ से प्रभावित हैं, लेकिन गोपालगंज में इस साल गंडक ने काफी तबाही मचाई है। फिलहाल गंडक के जलस्तर में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। गोपालगंज के 5 प्रखंडों के 88 पंचायतों में बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है, जिससे करीब 4 लाख की आबादी प्रभावित है। जिले के पांच प्रखंडों में बाढ़ ने कहर बरपाया है लेकिन फिलहाल एक भी राहत शिविर नहीं चलाए जा रहे हैं, हालांकि 39 सामुदायिक रसोई जरूर चलाने के दावा किए जा रहे हैं।

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Published: 20 Aug 2020, 4:10 PM