कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के उपभोक्ताओं को निराशा से भरा, अगले 6 महीने में भी आय सुधरने की उम्मीद छोड़ी

बीसीजी के कंज्यूमर सेंटिमेंट पोल में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि इसी तरह की सोच रखने वाले लोगों में पिछले एक साल के समय में भारी वृद्धि हुई है। जुलाई 2020 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में करीब 44 प्रतिशत लोग ही ऐसा महसूस कर रहे थे।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

भारत में 58 प्रतिशत उपभोक्ताओं को लगता है कि अगले छह महीनों में उनकी आय कोरोना महामारी के आने से पहले के स्तर से कम ही रहेगी। बीसीजी के कंज्यूमर सेंटिमेंट पोल में सामने आए आंकड़ों के साथ यह दावा किया गया है, जो दर्शाता है कि इसी तरह की सोच रखने वाले लोगों में पिछले एक साल के समय में वृद्धि हुई है। जुलाई 2020 में किए गए पिछले सर्वेक्षण में करीब 44 प्रतिशत ने ऐसा ही महसूस किया था।

यह सर्वेक्षण 23-28 मई, 2021 को 4,000 उपभोक्ताओं के बीच किया गया था। सर्वेक्षण, जिसमें शहरी और ग्रामीण भारत के सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों को शामिल किया गया है, बीसीजी द्वारा आयोजित छठा सर्वे है। इसी तरह, खर्च को लेकर भी लोगों की धारणा प्रभावित हुई है। नवीनतम राउंड में 51 प्रतिशत उपभोक्ताओं को उम्मीद है कि अगले 6 महीनों में उनका खर्च पिछले राउंड के 40 प्रतिशत की तुलना में कम होगा।


कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद लोगों के बीच वैक्सीन लेने की इच्छा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में, जिन्होंने पहले काफी हिचकिचाहट/उदासीनता दिखाई थी। बड़े शहरों में पात्र उपभोक्ताओं में से 78 फीसदी ने कहा कि वे अब वैक्सीन लेने के लिए बहुत इच्छुक हैं जबकि इससे पहले वाले राउंड में इन लोगों की संख्या 62 प्रतिशत थी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन लेने के इच्छुक लोगों में पहले के 41 प्रतिशत की तुलना में 63 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है।

हालांकि, इन होम एंटरटेनमेंट, एसेंशियल (जीवन की साधारण आवश्यकताएं एवं जरूरी वस्तुएं) और हेल्थ सेक्टर्स जैसी कुछ श्रेणियों ने सकारात्मक भावना दिखाना जारी रखा है। बीसीजी इंडिया की प्रबंध निदेशक और पार्टनर निमिषा जैन ने एक बयान में कहा, ''अनिश्चितता की एक आसन्न भावना है, हालांकि हमने कुछ सकारात्मक संदेश भी देखे हैं। सभी श्रेणियों में खर्च की भावना समान रूप से प्रभावित नहीं हुई है। इस मामले में इन होम एंटरटेनमेंट, एसेंशियल, हेल्थ, विजेता बने हुए हैं। हालांकि, कुछ विवेकाधीन (स्वनिर्णयगत) श्रेणियां नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई हैं।''

इस सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि सामाजिक वाणिज्य, ऑनलाइन शॉपिंग, डिजिटल सामग्री, डिजिटल भुगतान से लेकर नए अपनाए गए कई व्यवहार उस अवधि के दौरान भी जारी रहे हैं, जब स्थिति थोड़ी बेहतर दिख रही थी और क्षेत्र में लॉकडाउन लागू नहीं था।

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