धारा 370: घाटी में कर्फ्यू, मोबाइल फोन और गिरफ्तार नेताओं की रिहाई पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। लेकिन कोर्ट ने इस विषय से संबंधित याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। तहसीन पूनावाला ने जम्मू-कश्मीर से कर्फ्यू, नेताओं की गिरफ्तारी किए जाने के सिलसिले में भी याचिका दायर की है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कश्मीर मुद्दे पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है। याचिका में मांग की गई है कि घाटी में कर्फ्यू, मोबाइल फोन, इंटरनेट सेवा पर लगी रोक को तुरंत हटाई जाए। साथ ही घाटी के गिरफ्तार नेताओं को तत्काल रिहा किए जाने की अपील की गई है। तहसीन पूनावाला की ओर से दायर इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी।

पूनावाला की ओर से पेश हुए वकील सुहैल मलिक ने कहा कि वह धारा 370 पर कोई राय नहीं व्यक्त कर रहे हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू के खिलाफ हैं। इसके अलावा फोन लाइन, इंटरनेट और न्यूज चैनलों पर रोक लगाने पर सवाल उठाए।


सुनवाई के दौरान सुहैल मलिक ने कहा कि लोगों को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने और वहां के हालातों के बारे में जानने का अधिकार है। इसके अलावा तहसीन पूनावाला ने अपनी याचिका में पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की रिहाई के लिए निर्देश देने की मांग की हैं। वहीं तहसीन पूनावाला राज्य में जमीनी हकीकत जानने के लिए एक जस्टिस कमीशन गठन करने की भी मांग की है।

दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के विशेषाधिकार के लिए बनें अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार के द्वारा कमजोर के जाने पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर तुरंत सुनवाई से मना कर दिया है। सीजेआई रंजन गोगोई अगली तारीख तय कर बताएंगे कि इस याचिका को कब सुना जाएगा।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के एक खंड को छोड़कर बाकी सभी खंडों को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अधिसूचना पर दस्तखत करने के बाद ही जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया है। राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना पर दस्तखत करने के बाद अब जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के सारे कानून लागू हो गए हैं।

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Published: 08 Aug 2019, 3:26 PM
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