चुनाव देख BJP को आई मुस्लिमों की याद, जोड़ने के लिए 10 मार्च से शुरू करेगी सूफी संवाद महाभियान

दरअसल, बीजेपी के रणनीतिकारों का यह मानना है कि इस अभियान के बावजूद पार्टी को मुस्लिम समुदाय का वोट मिले या न मिले लेकिन इससे चुनाव में देश भर में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद जरूर मिलेगी।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनाधार बढ़ाने की कवायद के तहत अल्पसंख्यक समुदाय खासकर पसमांदा मुस्लिम पर फोकस कर रही बीजेपी ने अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए सूफी पंथ मानने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों को जोड़ने के लिए 10 मार्च से महाभियान चलाने का खाका तैयार कर लिया है।

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा 10 मार्च से देश भर में सूफी संवाद महाभियान चलाने जा रहा है। इस महाभियान की रणनीति और योजना पर विचार करने के लिए मोर्चा मार्च के पहले सप्ताह में राजधानी दिल्ली में एक बड़ी बैठक कर सकती है, जिसमें सूफी संवाद महाभियान के सभी राज्यों के प्रभारी और सह प्रभारियों समेत कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति शामिल हो सकते हैं।

यहां बता दें कि, बीजेपी ने मुस्लिम समाज में उदारवादी माने जाने वाले सूफी विचारधारा के लोगों के साथ देश भर में संवाद स्थापित करने और सूफी संवाद महाभियान चलाने के लिए इसी महीने राष्ट्रीय स्तर पर प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति की थी। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दिकी ने इसी महीने, 6 फरवरी को सूफी संवाद महाभियान के लिए मौलाना सुहैब कासमी को प्रभारी और इकबाल गौरी, गुलाम निजाम निजामी और अफगान चिश्ती को सह प्रभारी बनाने की घोषणा की थी।


बीजेपी की योजना इसी तर्ज पर हर राज्य में सूफी संवाद महाभियान के लिए प्रभारी और सह प्रभारियों की नियुक्ति करने की है। इन सभी प्रभारियों और सह प्रभारियों की मार्च के पहले सप्ताह में दिल्ली में एक बड़ी बैठक बुलाई जा सकती है। इस बैठक के बाद बीजेपी 10 मार्च से देशभर में सूफी संवाद महाभियान शुरू कर सकती है। दरअसल, बीजेपी के रणनीतिकारों का यह मानना है कि इस अभियान के बावजूद पार्टी को मुस्लिम समुदाय का वोट मिले या न मिले लेकिन इससे देश भर में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद जरूर मिलेगी।

सूत्रों के मुताबिक, वैसे तो बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की योजना देशभर में इस महाभियान को चलाने की है लेकिन इसमें देश के अल्पसंख्यक बहुल जिलों और संसदीय क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में लगभग 20 शहरों में सूफी संवाद और सम्मेलन का आयोजन किया जा सकता है। इसी तरह के कार्यक्रम का खाका महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित अन्य राज्यों के लिए भी तैयार किया जा रहा है।

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