सरकार के साथ 7 घंटे की बैठक फिर रही बेनतीजा, किसान बोले- संशोधन नहीं, रद्द करना होगा कानून

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच आज हुई बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई। हालांकि बैठक के बाद कृषि मंत्री ने दावा किया कि बहुत से मुद्दों पर सहमति बन गई है। वहीं किसानों ने एक बार फिर साफ कहा कि सरकार को काले कानूनों को रद्द करना ही होगा।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

आसिफ एस खान

मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली को घेर कर बैठे आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच आज हुई बैठक भी बेनतीजा खत्म हो गई। करीब 7 घंटे चली आज की बैठक में कोई समाधान नहीं निकलने पर एक और दौर की वार्ता करने का फैसला लिया गया है, जो 5 दिसंबर को 2 बजे निर्धारित की गई है।

किसानों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री ने दावा किया कि बहुत से मुद्दों पर सहमति बनी है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक में सरकार और किसानों ने अपना पक्ष रखा। किसानों की चिंता जायज है। सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार खुले मन से किसान यूनियन के साथ चर्चा कर रही है। किसानों की 2-3 बिंदुओं पर चिंता है। बैठक सौहार्द्रपूण माहौल में हुई। एपीएमएस को सशक्त बनाने के लिए सरकार विचार करेगी। साथ ही कृषि मंत्री ने एक बार फिर किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की।

वहीं किसानों ने एक बार फिर साफ कहा कि सरकार को काले कानूनों के रद्द करना ही होगा। बैठक के बाद किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि “हमने सरकार के समक्ष सभी बिंदुओं की सूची रखी। उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि कमियां हैं और वे संशोधन करेंगे। हमने कहा कि हम संशोधन नहीं चाहते हैं, बल्कि कानूनों को वापस लेना ही होगा। हमने यह भी मांग की है कि एमएसपी को निश्चित किया जाना चाहिए और इसके लिए कानून लागू किया जाना चाहिए।”

सूत्रों के अनुसार बैठक में किसानों ने सरकार को लिखित में अपने सुझाव दिए हैं। इससे पहले दिन में 34 से अधिक किसान नेताओं के एक समूह ने केंद्र सरकार के साथ वार्ता के दौरान पांच-सूत्री मांगें रखीं, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक विशिष्ट कानून की रूपरेखा रखी गई है। लिखित मांगों में से एक संसद के मानसून सत्र के दौरान सितंबर में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करना है। इसमें आगामी बिजली (संशोधन) अधिनियम, 2020 के बारे में भी आपत्तियां उठाई गई हैं।

किसानों ने इस बात पर जोर दिया कि पराली जलाने के लिए मामला दर्ज करने का प्रावधान समाप्त किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसानों ने सवाल उठाया कि सरकार आखिर क्यों एमएसपी पर उन्हें लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार नहीं है, जबकि उसने पहले कहा था कि एमएसपी हमेशा जारी रहेगा। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि संसद के एक विशेष सत्र में एमएसपी पर एक नया कानून बनाया जाए। उन्होंने यह भी मांग उठाई कि उन्हें एमएसपी की गारंटी दी जानी चाहिए, न केवल अभी बल्कि भविष्य में भी यह गारंटी होनी चाहिए।

किसान नेताओं ने चिंता जताते हुए कहा, "मान लें कि एमएसपी जारी रहे, लेकिन खरीद बंद हो जाए। तब तो एमएसपी का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।" किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कहा है कि तीनों कृषि कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए लाए गए हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि बड़े व्यवसाइयों और कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानूनों को पारित किया गया है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia