धनंजय मुंडे मामले पर शरद पवार बोले- आत्मसम्मान वाला कोई भी व्यक्ति इस्तीफा दे देता
पवार ने शिवसेना की विधान वार्षद नीलम गोरहे की भी आलोचना की जिन्होंने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए ‘पद पाने के लिए मर्सिडीज कार देने’ से जुड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। पवार ने कहा कि गोरहे की टिप्पणियां मूर्खतापूर्ण हैं।

महाराष्ट्र के बीड में सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के बाद विवादों में घिरे मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे की मांग के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को कहा कि आत्मसम्मान वाला कोई भी व्यक्ति इस्तीफा दे देता। मुंडे के इस्तीफे की मांग राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में छाए सरपंच हत्याकांड में उनके एक करीबी सहयोग के पकड़े जाने के बाद से की जा रही है।
शरद पवार ने आज मुंबई में कहा, ‘‘कोई भी आत्मसम्मान वाला व्यक्ति इस्तीफा दे देता।’’ पवार ने शिवसेना की विधान वार्षद नीलम गोरहे की भी आलोचना की जिन्होंने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए ‘पद पाने के लिए मर्सिडीज कार देने’ से जुड़े भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। पवार ने कहा, ‘‘गोरहे की टिप्पणियां मूर्खतापूर्ण हैं। उन्हें अस्तित्व विहीन मुद्दों पर बात नहीं करनी चाहिए थी।’’
शरद पवार ने बताया कि गोरहे पहली बार तब विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बनीं, जब वह प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाले संगठन का हिस्सा थीं, फिर शिवसेना में जाने से पहले एनसीपी में शामिल हुईं और अंत में एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हुईं। पवार ने कहा, ‘‘लोग तय करेंगे कि उन्होंने अपनी राजनीतिक संबद्धता में कोई निरंतरता दिखाई है या नहीं।’’
बीड के परली से निर्वाचित विधायक धनंजय मुंडे विपक्ष और महायुति के कुछ सहयोगियों की आलोचना का सामना कर रहे हैं, क्योंकि उनके करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड को 9 दिसंबर को बीड के मसाजोग में सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण और उनकी क्रूर हत्या से जुड़े जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, मुंडे ने यह दावा करते हुए अपना पक्ष रखा कि उनका मसाजोग मामले से कोई संबंध नहीं है।
महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति गोरहे ने शनिवार को दावा किया कि अविभाजित शिवसेना में पद भ्रष्ट तरीकों से प्राप्त किए गए थे, जिसमें मर्सिडीज कारों को उपहार में देना भी शामिल है। दिल्ली में प्रतिष्ठित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में की गई गोरहे की टिप्पणियों की ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने तीखी आलोचना की है जो 2022 में मूल शिवसेना में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई।
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