आरोग्य सेतु करेगा कई अनकही कहानियों का खुलासा, कोरोना के बहाने राज्यों की निगरानी कर रही सरकारः शशि थरूर

शशि थरूर ने कहा कि सरकार ने इस महामारी का बहाना बनाकर लॉकडाउन में पत्रकारों पर आरोप लगाए, प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार किया, सभाओं पर प्रतिबंध लगाया, अदालतों के कामकाज बंद हैं। लोगों को जमानत नहीं मिल रही है। ऐसे कई कारण हैं, जिनके कारण मुझे चिंता है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जब से संयुक्त राष्ट्र में अवर महासचिव की अपनी पारी के बाद राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा है, उनके पास पीछे मुड़कर देखने का कोई कारण नहीं रहा है। उनकी गिनती सबसे लोकप्रिय कांग्रेस सांसद में होती है। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में रह रहे थरूर 'राष्ट्रवाद' पर अपनी एक नई किताब को पूरा करने में व्यस्त हैं। इस बीच उन्होंने सरकार द्वारा कोविड-19 के बहाने राज्यों की निगरानी करने की बात कही है।

शशि थरूर ने कहा, "मुझे वर्तमान माहौल को लेकर चिंता है। सरकार ने इस महामारी का बहाना बनाकर लॉकडाउन के कारण पत्रकारों पर आरोप लगाए, प्रदर्शनकारी छात्रों को गिरफ्तार किया, सभाओं पर प्रतिबंध लगाया, अदालतों के कामकाज पर रोक लगा दी। कई लोगों को जमानत नहीं मिल रही है, ऐसे कई कारण हैं, जिनके कारण मुझे चिंता है। आरोग्य सेतु एप पर तो सरकार का पूरा नियंत्रण है, यह कई अनकही कहानियों का खुलासा करेगा।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा थालियां बजाने, दीये जलाने की अपील को लेकर थरूर ने कहा, "मैंने उनकी पूरी तरह से सराहना की। लेकिन उस समय मेरा प्रश्न यही था कि क्या यह पर्याप्त है? क्या कोविड-19 से संबंधित अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं हैं जिन्हें पीएम को राष्ट्र के साथ साझा करना चाहिए था?"

थालियां बजाने के बाद कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए किये गए फ्लाईपास्ट को लेकर थरूर ने कहा, “यह करदाताओं के संसाधनों का घोर असंवेदनशील दुरुपयोग था। जब इतने सारे भारतीय भूखे मर रहे हैं, लोगों में निराशा है, लोग बेरोजगार हैं, अनिश्चितता का माहौल है तो ऐसे में ऐसा आयोजन पूरी तरह संसाधनों की बबार्दी है। कम से कम थाली बजाने और दीये जलाने में कुछ खर्च तो नहीं था।"

लॉकडाउन को लेकर दूसरे देशों और अपने देश की स्थिति को लेकर थरूर ने कहा, "प्रत्येक देश की अपनी वास्तविकता है। भारत ने उन देशों से पहले कठोर लॉकडाउन लगाया। यह सही काम था, हालांकि, यह बेहतर नियोजित हो सकता था और लोगों को आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए था। योजना और नोटिस के साथ, यह शायद दस दिन पहले आ सकता था, लेकिन जैसा कि हम जानते हैं, हमारे लॉकडाउन का प्रभाव अस्थायी है, क्योंकि हर दिन मामलों की संख्या बढ़ रही है।"

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia