सुनंदा पुष्कर मौत मामले में शशि थरूर निर्दोष साबित, दिल्ली कोर्ट ने सभी आरोपों से किया बरी

सुनंदा पुष्कर को 17 जनवरी 2014 की शाम को मृत पाया गया था। पुलिस ने आईपीसी) की धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर मामले की हत्या के रूप में जांच शुरू की थी। बाद में थरूर पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) और 498ए (पति द्वारा क्रूरता) के आरोप लगाए गए थे।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुनंदा पुष्कर मौत मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बड़ी राहत देते हुए उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह आदेश शशि थरूर, थरूर की ओर से मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा और अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव की उपस्थिति में सुनाया गया। विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कहा, "आरोपी को बरी कर दिया गया है।

वर्चुअली अदालती कार्यवाही में भाग लेने वाले शशि थरूर ने अदालत को सभी आरोपों से मुक्त करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "साढ़े सात साल हो गए थे और यह एक यातना थी। मैं अदालत और न्याय प्रणाली का बहुत आभारी हूं।" थरूर के वकील विकास पाहवा ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने और क्रूरता के लिए पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप निराधार और बेतुके थे।

इस मामले में आदेश पहले भी कई बार टाला जा चुका है। 27 जुलाई को, अभियोजन पक्ष ने कहा था कि वह रिकॉर्ड पर लाना चाहता था और आरोप तय करते समय 'प्रथम दृष्टया' मामले के पहलू पर हाल के एक फैसले पर भरोसा करना चाहता था। गोयल ने फैसले को रिकॉर्ड में रखने और इसकी कॉपी थरूर के वकील को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया था और किसी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।


इससे पहले 29 अप्रैल, 19 मई और 16 जून को महामारी के चलते न्यायिक कार्य प्रभावित होने के कारण आदेश को टाल दिया गया था। अदालत को अभियोजन पक्ष की ओर से लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय देने का आवेदन मिलने के बाद दो जुलाई को आदेश की घोषणा फिर से स्थगित कर दी गई थी।

बता दें कि सुनंदा पुष्कर को 17 जनवरी 2014 की शाम को दिल्ली के होटल में मृत पाया गया था। दिल्ली पुलिस ने मामले की हत्या के रूप में जांच शुरू करते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की। थरूर पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) और 498ए (पति द्वारा क्रूरता) के तहत आरोप लगाए गए थे।

सरकारी वकील श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि पुष्कर की मृत्यु से पहले, पुष्कर के शरीर पर चोटें आई थीं और वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दिखी थीं। उन्होंने उनके कमरे से एल्प्रैक्स की 27 गोलियां बरामद होने की भी बात की थी, हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उन्होंने कितनी गोलियां खाई थीं।

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