'उन्हें इंडिया नहीं भारत' की आ रही हिचकी', शिवसेना का सामना के जरिए केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना

शिवसेना ने सामना में कहा कि अलग-अलग राज्यों में जातीय, धार्मिक ध्रुवीकरण के धंधे शुरू हैं। सत्तापक्ष का इरादा उससे दंगे भड़काकर उस पर राजनैतिक स्वार्थ की रोटियां सेंकने का है।

'सामना' में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना।
'सामना' में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना।
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नवजीवन डेस्क

महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। राज्यभर में गणेश चतुर्थी की धूम है। इस बीच शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने गणपति बप्पा से कामना करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सामना में शिवसेना ने लिखा, "हूल' और 'भूल' यह मौजूदा शासकों के प्रमुख हथियार हैं। उसका प्रयोग कर जनता को एक अलग ही भूलभुलैया में रखने का धंधा 9 वर्षों जारी है। साल 2024 में देश में परिवर्तन लेकर आना ही है, ऐसा निश्चय जनता ने किया ही है। हे गणराया, देश में बढ़े दंभ और सुंभ, जनता के दुख-दर्द नष्ट करिए और लोकतंत्र का विघ्न दूर कीजिए।"

शिवसेना ने सामना में लेख के जरिए मणिपुर के मुद्दे को भी उठाया। लिखा, "चार महीनों से जल रहे मणिपुर को लेकर मनमुताबिक मौन रखना और दूसरी तरफ संसद के सुरक्षा रक्षकों की आंखों पर 'मणिपुरी' टोपी रखकर मणिपुरी अस्मिता की कुंजी दिखाना। विरोधी दलों के 'इंडिया' गठबंधन वर्ष 2024 में उनका सफाया कर देगी, इसका एहसास होने पर शासक और उनके भक्तों को 'इंडिया नहीं भारत' की हिचकी आ रही है।"

देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर मुख पत्र में शिवसेना ने सरकार को निशाने पर लिया। लिखा, “महंगाई, बेरोजगारी और अन्य परेशानियों से जकड़े हुए देशवासियों को धर्म और श्रद्धा के झांसे में फंसाने का षड्यंत्र चल रहा है। इसके लिए अयोध्या में श्रीराम मंदिर से लेकर समान नागरिक कानून, 'एक देश-एक कानून' जैसे कई मुद्दों की बात की जा रही है।"

शिवसेना ने सामना में कहा कि अलग-अलग राज्यों में जातीय, धार्मिक ध्रुवीकरण के धंधे शुरू हैं। सत्तापक्ष का इरादा उससे दंगे भड़काकर उस पर राजनैतिक स्वार्थ की रोटियां सेंकने का है। सामना के जरिए शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार पर भी निशाना साधा। सामना में लिखा, "एक तरफ सूखा, फसल का न होना, उससे पैदा हुआ कर्ज का बोझ, इस वजह से किसानों की बढ़ती आत्महत्या और दूसरी तरफ शासकों की ओर से धोखाधड़ी वाली घोषणाएं यह राज्य पर एक गंभीर संकट ही है। दिल्लीश्वरों द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए महाराष्ट्र पर मढ़े गए यह संकट हमेशा के लिए दूर कीजिए, ऐसी प्रार्थना राज्य की जनता आज श्री चरणों में कर रही होगी।"

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