कोर्ट के फैसले के कुछ ही देर बाद BJP नेता ने सोशल मीडिया पर शेयर की आदेश की कॉपी, बॉम्बे HC ने जिला जज से तलब की सफाई

जिल जज द्वारा फैसला सुनाने के कुछ ही देर बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया द्वारा फैसले की कॉपी शेयर करने के मामले पर बांबे हाईकोर्ट ने चिंता जताई है, कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में सुनकर खुर्द हाईकोर्ट भी दंग रह गया। यह मामला बीजेपी नेता किरीट सोमैया से जुड़ा है। दरअसल एनसीपी नेता हसन मुशरिफ से जुड़े एक मामले में जिला जज ने एक फैसला सुनया था। जिल जज द्वारा फैसला सुनाए जाने के कुछ ही देर बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने फैसले की कॉपी सोशल मीडिया पर शेकर दी थी। ऐसा करके किरीट सोमैया बुरी तरह फंस गए। एनसीपी नेता हसन मुशरिफ द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में उनके वकील ने हैरानी जताई कि आखिर बीजेपी नेता किरीट सोमैया को फैसले की कॉपी आदेश आने के कुछ ही देर बाद कहां से मिल गई? आमतौर पर फैसले की कॉपी चार दिन में मिलती है।

जिल जज द्वारा फैसला सुनाने के कुछ ही देर बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया द्वारा फैसले की कॉपी शेयर करने के मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने चिंता जताई है, कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। बांबे हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज को इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि जिला जज इस बात को देखें कि फैसला सुनाने के महज दो घंटे के भीतर किरीट सोमैया को ऑर्डर की कॉपी कहां से मिल गई। जबकि फैसले की सर्टिफाइड कॉपी आरोपी को ही चार दिनों बाद मिल पाई थी। हाईकोर्ट मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल को करेगा।


रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की शिकायत पर पुणे की कोर्ट ने 1 अप्रैल 2022 को शाम 5 और साढ़े पांच बजे के बीच फैसला सुनाया था। किरीट सौमेया ने आदेश की कॉपी शाम साढ़े सात बजे ट्वीट कर दी थी। वहीं, आरोपियों को फैसले की कॉपी 5 अप्रैल को मिल पाई थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस रेवती मोहिते और शर्मिला देशमुख की बेंच ने कहा कि बिजली की रफ्तार से किरीट सोमैया को कोर्ट के फैसले की कॉपी कहां से मिली, यह चिंता का विषय है। हाईकोर्ट ने प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज से पूछा है कि आखिर कैसे हसन मुशरिफ के मामले में दर्ज एफआईआर की कॉपी भी सोमैया को मजिस्ट्रेट से पहले मिल गई। हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के जांच अधिकारी को तलब करके उनसे सवाल जवाब किए जाएं कि ऐसा कैसे हुआ? बेंच ने मुशरिफ को 23 फरवरी को कोल्हापुर में दर्ज मामले में राहत देते हुए पुलिस को आदेश दिया कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।


ये पूरा मामला क्या है?

एनसीपी नेता हसन मुशरिफ पर 2012 में लोगों से पैसा उगाहने का आरोप लगा था। 2012 में इश्तिहार देकर कई लोगों से 10 हजार रुपये शेयर कैपिटल के तौर पर जुटाए थे। लोगों को हर महीने 5 किलो चीनी के साथ दूसरे कई फायदे दिए जाने का वादा किया गया था। इस मामले में विवेक कुलकर्णी नाम के शख्स की ओर से शिकायत दर्ज करवाया गया था। कुलकर्णी का आरोप है कि जिन लोगों से पैसा लिया गया था, उनको कोई भी शेयर सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया था।

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