सिद्धरमैया ने आंबेडकर पर टिप्पणी के लिए अमित शाह पर बोला हमला, कहा- संविधान नहीं होता तो शाह ‘कबाड़ी’ होते

राज्यसभा में अमित शाह ने कहा था, ‘‘अभी एक फैशन बन गया है... आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’ शाह के इस बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है।

सिद्धरमैया ने आंबेडकर पर टिप्पणी के लिए अमित शाह पर बोला हमला, कहा- संविधान नहीं होता तो शाह ‘कबाड़ी’ होते
सिद्धरमैया ने आंबेडकर पर टिप्पणी के लिए अमित शाह पर बोला हमला, कहा- संविधान नहीं होता तो शाह ‘कबाड़ी’ होते
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने संविधान निर्माता बी.आर. आंबेडकर पर केन्द्रीय मंत्री अमित शाह की कथित टिप्पणी के लिए गुरुवार को उनकी आलोचना की और दावा किया कि अगर आंबेडकर का संविधान नहीं होता तो शाह ‘‘कबाड़ी’’ होते। सिद्धरमैया ने विधानसभा में कहा कि यदि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ वास्तव में संविधान के तहत काम कर रहे हैं तो उन्हें शाह को तुरंत सदन से निलंबित कर देना चाहिए था।

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस विधायकों के हंगामे के बीच विधानसभा में विस्तृत बयान पढ़ते हुए सिद्धरमैया ने कहा कि पूरे देश ने गृह मंत्री द्वारा बाबा साहेब आंबेडकर के बारे में कहे गए ‘‘अपमानजनक’’ शब्दों को सुना है। सिद्धरमैया ने कहा कि शाह द्वारा कही गई बातों में कोई आश्चर्य की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा और (राष्ट्रीय स्वंयसेवक) संघ परिवार के नेताओं के मन में जो चल रहा था, वह खुलकर सामने आ गया है।


मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं आपको (अमित शाह) बधाई देता हूं कि आपने बाबा साहेब आंबेडकर के बारे में भारतीय जनता पार्टी की अंदरुनी राय को देश के सामने खुलेआम और साहस के साथ उजागर किया और आखिरकार सच बोल दिया।’’ उन्होंने कहा कि अगर संविधान नहीं होता तो शाह देश के गृह मंत्री नहीं, बल्कि अपने गांव में ‘‘कबाड़ी’’ होते।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘जब तक यह लिखित संविधान लागू नहीं हुआ, तब तक भारतीय समाज में ‘मनुस्मृति’ थी, जिसे जाति और लैंगिक भेदभाव को एक कानून बना दिया था। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की आशा रखने वाले बाबासाहेब आंबेडकर ने न केवल संविधान दिया, बल्कि उन्होंने उस अलिखित संविधान ‘मनुस्मृति’ को भी जला दिया जो तब तक लागू थी।’’ उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर, 1927 को आंबेडकर ने सार्वजनिक रूप से ‘मनुस्मृति’ को जलाया और 22 साल बाद उन्होंने एक नया संविधान बनाया।


दरअसल राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा था, ‘‘अभी एक फैशन बन गया है... आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’ शाह के इस बयान के लिए विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी आलोचना की है।

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