SIR: पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दलों की ओर से 2.07 लाख दावे-आपत्तियां दर्ज, टीएमसी सबसे आगे
राज्य में एसआईआर प्रक्रिया नवंबर 2025 में शुरू हुई, जिसमें डोर-टू-डोर गणना के बाद 16 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी किया गया। इसमें 58 लाख से अधिक नाम (मृत, डुप्लिकेट, स्थानांतरित, अनुपस्थित) हटाए गए। 32 लाख 'अनमैप्ड' मतदाताओं को 27 दिसंबर से सुनवाई नोटिस जारी हो रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की मसौदी सूची प्रकाशित होने के बाद राजनीतिक दलों की ओर से 2.07 लाख दावे और आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं। पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी दैनिक बुलेटिन के अनुसार, ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल के प्रकाशन के बाद 17 दिसंबर से 30 दिसंबर तक राजनीतिक दलों द्वारा कुल 2,07,001 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं।
बुलेटिन में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी ने सबसे अधिक 61,186 दावे-आपत्तियां दर्ज कराई हैं, जबकि आम आदमी पार्टी, बीएसपी आदि की संख्या नगण्य रही। राज्य पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 77,091 दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं। वहीं सीपीआई (एम) ने 49,079, कांग्रेस ने 18,733 और फॉरवर्ड ब्लॉक ने 1,885 दावे और आपत्तियां दाखिल किए हैं। कुल मिलाकर राजनीतिक दलों द्वारा शामिल करने की मांग की गई, जबकि हटाने की कोई मांग नहीं आई।
सीईओ ने स्पष्ट किया कि ब्लॉक लेवल एजेंट्स (बीएलए) द्वारा बिना निर्धारित फॉर्म 6 (शामिल करने) या फॉर्म 7 (हटाने) के सामान्य शिकायतें अमान्य मानी जाती हैं और उन्हें दावे-आपत्ति नहीं गिना जाता। ड्राफ्ट रोल प्रकाशन से पहले फॉर्म 6 में 3,31,075 और फॉर्म 7 में 56,867 आवेदन प्राप्त हुए थे। ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल में वर्तमान में 7,08,16,630 मतदाता शामिल हैं।
एसआईआर प्रक्रिया नवंबर 2025 में शुरू हुई, जिसमें डोर-टू-डोर गणना के बाद 16 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी किया गया। इसमें 58 लाख से अधिक नाम (मृत, डुप्लिकेट, स्थानांतरित, अनुपस्थित) हटाए गए। 32 लाख 'अनमैप्ड' मतदाताओं (जिन्हें 2002 रोल से नहीं जोड़ा जा सका) को 27 दिसंबर से सुनवाई नोटिस जारी हो रहे हैं। दावे-आपत्तियों की अवधि 15 जनवरी 2026 तक है, सुनवाई 16 जनवरी से 7 फरवरी तक चलेगी और अंतिम रोल 14 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगा।
पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया विवादास्पद रही है। टीएमसी इसे बीजेपी की साजिश बता रही है, जिसमें मुस्लिम और बंगाली मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है। टीएमसी ने आरोप लगाया कि एसआईआर से मानसिक दबाव के कारण कई मौतें हुईं। वहीं बीजेपी इसे अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी) को हटाने का जरूरी कदम बता रही है। हालांकि, निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक हटाए गए अवैध बांग्लादेशियों का आंकड़ा नहीं दिया गया है।
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