सीताराम येचुरी दूसरी बार चुने गए माकपा के महासचिव, विपक्षी एकता के लिए अच्छे संकेत

सीताराम येचुरी को दूसरी बार सीपीआई (एम) का महासचिव चुन लिया गया है। 65 साल के येचुरी ने पहली बार 2015 में 21वीं पार्टी कांग्रेस में प्रकाश करात का स्थान लिया था और पार्टी के महासचिव बने थे।

फोटो: सोशल मडिया
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विश्वदीपक

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने रविवार यानी 22 अप्रैल को अगले 3 साल के लिए सीताराम येचुरी को फिर से अपने महासचिव के रूप में निर्वाचित किया। हैदराबाद में पार्टी की 22वीं कांग्रेस के आखिरी दिन माकपा नेता और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने येचुरी को महासचिव निर्वाचित किए जाने की घोषणा की। सरकार ने कहा कि येचुरी को 95 सदस्यीय नई केंद्रीय समिति ने निर्वाचित किया है। पार्टी ने 17 सदस्यीय नए पोलित ब्यूरो को भी चुना है। येचुरी को पहली बार 2015 में सीपीआई (एम) महासचिव के रूप में चुना गया था।

2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस की विचारधारा को समर्थन करने और अपनी पार्टी की विचारधार को साथ-साथ ले जाने का विचार रखने वाले येचुरी के लिए एक हफ्ते के अंदर यह दूसरी जीत है। सीपीआई (एम) के महासचिव की घोषणा के साथ ही कई मुद्दों को लेकर सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के बीच चल रहे मतभेद पर भी विराम लग गया है।

खबरों के मुताबिक, प्रकाश करात का धड़ा त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार को महासचिव के पद के लिए येचुरी के मुकाबले खड़े करने की योजना बना रहा था, लेकिन उन्हें पार्टी से ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया और अंत में माणिक सरकार ने खुद ही महासचिव पद के लिए येचुरी के खिलाफ चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

यह देखना काफी अहम होगा कि येचुरी का कांंग्रेस को लेकर आगे की क्या रणनीति होगी। पिछले साल हुई पोलित ब्यूरो की बैठक में सीताराम येचुरी ने कहा था कि कांग्रेस के साथ राजनीतिक गठबंधन न भी हो, तो कम से कम कुछ सीटों पर तालमेल होने दिया जाए। उन्होंने कहा था कि यह स्थानीय जरूरतों के मुताबिक होगा। येचुरी का प्रस्ताव था कि विचारधारा के स्तर पर कांग्रेस से समझौता होना चाहिए। हालांकि, प्रकाश करात येचुरी से सहमत नहीं हुए। उन्होंने साफ तौर पर इसका विरोध किया था।

वहीं, दिल्ली स्थित सीपीआई (एम) निरीक्षक के मुताबिक, येचुरा का दूसरी बार पार्टी का महासचिव चुना जाना बेहद अहम है, क्योंकि यह देश में वाम राजनीति के भाग्य का आगे का फैसला करेगा।

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Published: 22 Apr 2018, 5:34 PM
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