उत्तर प्रदेश में जनता की ‘रोशनी’ पर योगी सरकार ने की चोट! बंद हुई ये बड़ी योजना, RTI से हुआ खुलासा

आरटीआई में खुलासा हुआ है कि फील्ड की सूचना के आधार पर स्मार्ट मीटर तेज चलने की 73 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 9 शिकायतें सही पाई गईं। एक शिकायत मीटर के लोड जम्पिंग की मिली थी, वह भी सही पाई गई।

फोटो: सोशल मीडिया
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मुशाहिद रफत

उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को सुविधाओं के बड़े-बड़े दावों के साथ शुरू किए गए स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि जन्माष्टमी पर लाखों घरों में अंधेरा छाने के बाद एल एंड टी कंपनी पर शुरू हुई जांच में कई गड़बड़ियों का पता चला, इसलिए यह प्रोजेक्ट बंद करने का फैसला किया गया है। अब सिर्फ रेगुलर मीटर ही लगाए जाएंगे। जिन उपभोक्ताओं के घर स्मार्ट मीटर लगे हैं उनसे फीडबैक लेकर उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच, बरेली से डाली गई एक आरटीआई के जवाब से पता चला है कि मीटर तेज भागने और लोड जम्पिंग की शिकायतों में 14 प्रतिशत ठीक पाई गई हैं।

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा बतौर जिला प्रभारी मंत्री बरेली आए थे। यहां सर्किट हाउस में उनके सामने बीजेपी विधायकों ने बिजली विभाग से संबंधित कई शिकायतें रखीं। इनमें अनुमान से आधी लागत के टेंडर पास करने की शिकायतें प्रमुख थीं। विधायकों ने ऊर्जा मंत्री को बताया कि बरेली एयरपोर्ट जैसे संवेदनशील सबस्टेशन के लिए अनुमानित लागत से 40 फीसदी कम का टेंडर स्वीकार कर लिया गया। इसी बीच पत्रकारों ने ऊर्जा मंत्री से स्मार्ट मीटर्स के बारे में सवाल पूछा, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि जांच में एल एंड टी कंपनी की कई खामियां पाई गई हैं, लिहाजा स्मार्ट प्रोजेक्ट बंद किया जा रहा है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि अब उपभोक्ताओं के घऱ रेगुलर मीटर ही लगाए जाएंगे। जिनके घर स्मार्ट मीटर लगे हैं, उनका क्या होगा? इस सवाल पर श्रीकांत शर्मा ने कहा कि ऐसे हर उपभोक्ता से फीडबैक लिया जाएगा, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

इसके अतिरिक्त बरेली के आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट खालिद जीलानी को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से मिले जवाब से कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जीलानी ने बताया कि उन्होंने नवंबर 2020 में ईईसीएल कंपनी के स्मार्ट मीटर्स के बारे में आरटीआई डाली थी, जिसका जवाब उन्हें 15 जनवरी 2021 को मिला है। इसमें कहा गया है कि फील्ड की सूचना के आधार पर स्मार्ट मीटर तेज चलने की 73 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 9 शिकायतें सही पाई गईं। एक शिकायत मीटर के लोड जम्पिंग की मिली थी, वह भी सही पाई गई। जीलानी कहते हैं कि लाखों स्मार्ट मीटर्स में से केवल 74 शिकायतों की जांच से पता चलता है कि 14 फीसदी मीटर्स गड़बड़ थे तो यह समझना मुश्किल नहीं कि इन स्मार्ट मीटर्स ने कितने उपभोक्ताओं को परेशान कर रखा है।

जीलानी ने आरटीआई में यह भी पूछा था कि स्मार्ट मीटर लगाने से पहले उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण (यूजर एक्सेप्टैंस टेस्ट - यूएटी) कराया गया था। इसके जवाब में बताया गया स्मार्ट मीटर का अलग से यूएटी नहीं कराया जाता बल्कि पूरे सिस्टम की यूएटी प्रक्रिया चल रही है। जीलानी कहते हैं, पूरे सिस्टम की यूएटी का मतलब यह नहीं है कि स्मार्ट मीटर की पूरी टेस्टिंग हो गई। मीटर्स की अलग से टेस्टिंग होनी चाहिए। यह टेस्ट कई चरणों में होता है। इसमें छोटे से छोटे घटक जैसे यूनिट की जांच, एकीकरण परीक्षण, प्रणाली परीक्षण और स्वीकृति परीक्षण किया जाता है। साथ ही मास्टर डाटा मैनेजमेंट से लेकर स्मार्ट मीटर की क्वॉलिटी तक की पड़ताल होती है। मीटर्स को अलग यूएटी के बाद उपभोक्ताओं के बीच पेश किया जाता तो रीडिंग और लोड जम्पिंग जैसी शिकायतें नहीं आतीं। बहरहाल, सवाल सिर्फ स्मार्ट मीटर या उनके पूरे सिस्टम पर ही नहीं बल्कि पूरे प्रोजेक्ट पर ही खड़ा हो गया तो सरकार को इसे बंद करना पड़ा है। यह अभी साफ नहीं है कि जिनके घर पहले से स्मार्ट मीटर लग गए हैं, वो अगर खराब फीडबैक देते हैं तो उनके मीटर्स बदले जाएंगे या नहीं ?

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Published: 28 Jan 2021, 11:37 AM