सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केसः वंजारा ने माना गुजरात पुलिस ने एहतेयात के तौर पर की हत्या

गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में अदालत से बरी हो चुके पूर्व पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा ने ट्वीट कर एक तरह से स्वीकार किया है कि गुजरात पुलिस ने सोच-समझकर हत्या की थी। अब सवाल ये है कि क्या वंजारा के ताजा बयान पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान लेगा?

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पूर्व आईपीएस अधिकारी डी जी वंजारा ने ट्वीट किया है कि आतंकवादी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और बेनजीर भुट्टो जैसी राजनेताओं की हत्या करने में सफल रहे। अगर गुजरात पुलिस ये एनकाउंटर नहीं करती तो नरेंद्र मोदी का भी यही हाल होता। शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले के बाद वंजारा ने कहा कि गोधरा के बाद एनकाउंटर किया जाना गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को बचाने के लिए बहुत जरूरी था। वंजारा का ये बयान साफ इशारा करता है कि सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर नहीं बल्कि सोच-समझकर हत्या की गई थी।

शुक्रवार को मुंबई की एक विशेष सीबीआई कोर्ट के जज एसजे शर्मा ने 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर और उसकी पत्नी कौसर बी और दोस्त तुलसी राम प्रजापति की हत्या के मामले में सभी 22 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी करते हुए कहा था कि वह बहुत मजबूर हैं।

अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। वंजारा के इस ट्वीट से साफ हो गया है कि गुजरात पुलिस ने एहतियात के तौर पर एनकाउंटर किया था। यानी दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति की सोच-समझकर हत्या की गई। वंजारा ने साफ शब्दों में कहा कि अगर गोधरा के बाद गुजरात पुलिस ये एनकाउंटर नहीं करती तो नरेंद्र मोदी का भी वही हाल होता, जो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी या पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो का हुआ।

इस मामले में अदालत फैसले और जज के बयान से साफ होता है कि कोर्ट को दिनदहाड़े की गई हत्या के मामले में साजिश का कोई भी सबूत नहीं मिला, क्योंकि 92 गवाह सुनवाई को दौरान अपने पहले के बयानों से मुकर गए। हालांकि इस मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि गुजरात पुलिस के अधिकारियों ने इन तीनों को राजनीतिक लाभ के तहत सरेआम मौत के घाट उतारा था।

सीबीआई की जांच के मुताबिक सोहराबुद्दीन शेख, उसकी बीवी कौसरबी और दोस्त तुलसी राम प्रजापति को हैदराबाद से महाराष्ट्र के शहर सांगली के बीच रास्ते से गुजरात पुलिस ने 22 नवंबर 2005 को बस से नीचे उतारकर हिरासत में लिया था और 4 दिन के बाद सोहराबुद्दीन शेख को अहमदाबाद के करीब एक फर्जी एनकाउंटर में मार गिराया। पुलिस ने दावा किया कि सोहराबुद्दीन लश्कर-ए-तैय्यबा के लिए काम करता था और गुजरात के तत्कालीन सीएम और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था। वहीं कौसर बी को किसी दूसरी जगह पर कैद रखा गया और वहीं पर उसके साथ कई लोगों ने बलात्कार किया। 29 नवंबर 2005 को उसकी भी हत्या कर दी गई। उसके करीब एक साल बाद तुलसी प्रजापति का भी गुजरात और राजस्थान पुलिस ने दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित चपरी के पास एनकाउंटर कर दिया गया। पुलिस ने दावा किया कि एक केस की सुनवाई के लिए अहमदाबाद से राजस्थान ले जाते हुए प्रजापति को ने फरार होने की कोशिश की और पुलिस की गोली का शिकार हो गया।

इस केस में सीबीआई ने 38 लोगों को आरोपी बनाया था जिनमें से बीजेपी अध्यक्ष और गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह, राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा, पी सी पांडे समेत 16 लोगों को अदालत ने पहले ही बरी कर दिया था। इस फैसले से सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबउद्दीन शेख मायूस हैं और उनका कहना कि वो इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएंगे।

इस मामले को 2010 में सीबीआई के हवाले किया गया था। केस के प्रभावित होने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2012 में इस मामले को मुंबई की अदालत में हस्तांतरित कर दिया था।

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Published: 22 Dec 2018, 11:12 PM