महंगाई, बेरोजगारी और घटती आमदनी से जूझते नागरिकों की अनदेखी कर बजट के जरिए गरीबों पर खामोश हमला: सोनिया गांधी

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि बेरोजगारी, महंगाई और कम होती आमदनी से जूझते गरीबों और मध्य वर्ग की अनदेखी कर मोदी सरकार ने इस साल के बजट में लोगों पर एक खामोश हमला किया है।

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नवजीवन डेस्क

यूपीए चेयरपर्सन और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि वर्ष 2023-24 के लिए पेश केंद्र सरकार का बजट गरीबों पर एक खामोश हमला है, जिसमें उनकी मुश्किलों को दूर करने का कोई उपाय नहीं किया गया है।

द इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे लेख में सोनिया गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक हुई भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आम लोगों की जो दिक्कतें सामने आईं उससे पता चलता है कि देशवासी तिहरी मार झेल रहे हैं। उन्होंने कहा है कि आज देशवासियों पर आसमान छूते दामों. बेरोजगारी और निरंतर कम होती आमदनी का अभिशाप झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि यह स्थिति शहर से लेकर गांव तक में हैं और गरीब और मध्य वर्ग पिस रहा है।

उन्होंने कहा कि इस साल का बजट न सिर्फ इन अहम चुनौतियों का हल निकालने में नाकाम रहा है बल्कि गरीबों और वंचितों के लिए चल रही योजनाओं का बजट भी कम कर दिया गया है। यह गरीबों के ऊपर मोदी सरकार का एक खामोश हमला है और उन सभी कानूनों पर हमला है जो 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने बनाए थे।

उन्होंने आगे लिखा है कि स्वतंत्रता का वादा था कि सभी भारतीयों को एक अच्छा जीवन मिलेगा, न सिर्फ उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी बल्कि उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तौर पर बराबरी के अवसर देकर उन्हें सशक्त किया जाएगा। यूपीए सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए लोगों को अधिकार देने वाले कुछ कानून बनाए थे। इन कानूनों से नागरिकों को शिक्षा, भोजन, काम और पोषण के अधिकार मिले थे। लेकिन मौजूदा सरकार को यह कानून पसंद नहीं हैं और प्रधानमंत्री तो सार्वजनिक तौर पर इन कानूनों पर अपनी राय रख चुके हैं।

सोनिया गांधी ने मनरेगा का संदर्भ देते हुए उस प्रसंग की तरफ संकेत दिया जब प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में मनरेगा को लेकर यूपीए का मजाक उड़ाया था। सोनिया गांधी ने लिखा है कि इसी कानून ने कोविड महामारी के दौरान देश को बचाया, लेकिन इस साल के बजट में मनरेगा मद में सबसे कम बजट रखा गया है।

उन्होंने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में मजदूरों के पास अब कम काम है क्योंकि मनरेगा का बजट काट दिया गया है।


सोनिया गांधी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी बजट काटे जाने पर टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है कि शिक्षा के अधिकार की योजना को नया नाम सर्व शिक्षा अभियान तो दे दिया गया लेकिन लगातार तीसरे साल इस योजना के लिए बजटीय प्रावधानों में कटौती की गई है। उन्होंने कहा है कि बच्चों को अब पहले से कम पोषण वाला भोजन मिल रहा है क्योंकि मिड डे मील का बजट काट दिया गया है।

सोनिया गांधी ने गरीबों को दिए जाने वाले राशन का भी मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि गरीबों को दिया जाने वाला राशन आधा कर 5 किलो कर दिया गया है।

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