केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, कहा- हमारे धैर्य की परीक्षा न लें

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को भरने और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट को लागू करने में देरी के लिए केंद्र की कड़ी आलोचना की।

सुप्रीम कोर्ट/ फाइल फोटो
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्त पदों को भरने और ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट को लागू करने में देरी के लिए केंद्र की कड़ी आलोचना की। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि उसके फैसले का कोई सम्मान नहीं किया जा रहा है और ऐसी परिस्थितियां उसके धैर्य की परीक्षा ले रही हैं। मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि नया अधिनियम मद्रास बार एसोसिएशन के मामलों में रद्द किए गए अधिनियम की प्रतिकृति है।

न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि अदालत इस स्थिति से 'बेहद परेशान' है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी देने के लिए अदालत सरकार से खुश है। उन्होंने कहा, "हम सरकार के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं।"

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि अटॉर्नी जनरल के. वेणुगोपाल, कुछ व्यक्तिगत कठिनाई के कारण उपलब्ध नहीं हो सके। यह विवाद पीठ को रास नहीं आया, बल्कि पीठ के न्यायाधीशों ने मेहता पर सवालों की झड़ी लगा दी।


चीफ जस्टिस ने कहा, "आपने कितने लोगों को (ट्रिब्यूनल में) नियुक्त किया है।" पीठ ने कहा कि नियुक्ति के लिए सिफारिशें डेढ़ साल पहले उस समय मौजूद कानून के अनुसार की गई थीं। न्यायमूर्ति राव ने कहा, "क्यों कोई नियुक्तियां नहीं की गई हैं। न्यायाधिकरण बंद होने के कगार पर हैं।"

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहता को बताया कि एनसीएलटी, एनसीएलएटी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, और वे कॉपोर्रेट संस्थाओं के पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि रिक्तियों के कारण महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है और इन ट्रिब्यूनलों में सदस्यों की नियुक्ति नहीं करना एक बहुत ही क्रिटिकल स्थिति पैदा करता है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के लिए एक चयन समिति की अध्यक्षता की थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "जिन नामों की हमने सिफारिश की थी, उन्हें या तो हटा दिया गया है, और कोई स्पष्टता नहीं है कि क्यों! हम नौकरशाहों के साथ बैठकर ये निर्णय लेते हैं। यह ऊर्जा की बबार्दी है।"


न्यायमूर्ति राव ने कहा, "देखिए अब हमें किस बोझ का सामना करना पड़ रहा है। आप सदस्यों की नियुक्ति न करके इन न्यायाधिकरणों को कमजोर कर रहे हैं।" मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, "वे (शीर्ष अदालत के) फैसले का जवाब नहीं देने पर तुले हुए हैं।" पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले सोमवार की तिथि निर्धारित की है। शीर्ष अदालत ने 16 अगस्त को केंद्र को विभिन्न न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करने के लिए 10 दिन का समय दिया था और नियुक्तियां नहीं करने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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