राफेल पर मोदी सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट मामले की सुनवाई के लिए तैयार, कांग्रेस बोली- सच सामने आकर रहेगा

राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई को तैयार हो गया है। सीजेआई रंजन गोगोई की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मोदी सरकार को झटका देते हुए कहा कि वह राफेल पर समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई के लिए तारीख तय करेगा।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

राफेल मामले में मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, याचिकाकर्ता के दिए दस्तावेज अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के हिस्सा होंगे। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय बेंच ने एक मत से इस फैसला को सुनाया। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं। बता दें कि राफेल मामले में कोर्ट को यह तय करना था कि इससे संबंधित डिफेंस के जो दस्तावेज लीक हुए हैं, उस आधार पर रिव्यू पिटिशन की सुनवाई की जाएगी या नहीं।

कोर्ट ने समीक्षा याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि वह इस मामले की सुनवाई मेरिट बेस पर करेगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब दोबारा राफेल मामले की नये सिरे से सुनवाई होगी। इससे पहले की सुनवाई में मोदी सरकार की ओर से कहा गया था कि विशेषाधिकार वाले जिन गोपनीय दस्तावेजों को पुनर्विचार याचिका का आधार बनाया गया, उन्हें इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 123 के तहत सबूत नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस आपत्ति पर अपना फैसला 14 मार्च की सुनवाई के बाद सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले सुनवाई में मोदी सरकार की ओर दलील दी गई थी कि जो दस्तावेज प्रशांत भूषण ने रिव्यू पिटिशन के साथ पेश किए हैं वह प्रिविलेज्ड दस्तावेज है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने आगे कहा था कि ये दस्तावेज गोपनीय है और आरटीआई के अपवाद में है। इसलिए इंडियन एविडेंस ऐक्ट के तहत गोपनीय दस्तावेज पेश नहीं किया जा सकता। वहीं इस पर वकील प्रशांत भूषण ने जवाब देते हुए कहा था कि राफेल सौदे के दस्तावेज, जिन पर अटॉर्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, प्रकाशित हो चुके हैं और ये पहले से ही सार्वजनिक दायरे में हैं।

वहीं राफेल मामले में समीक्षा याचिका दाखिल करने वालों में से एक आरुण शौरी ने कहा, “हमारा तर्क यह था कि दस्तावेज रक्षा से संबंधित हैं, इसलिए उनकी जांच करनी चाहिए। कोर्ट ने साक्ष्य मांगे और हमने पेश कर दिया। इसलिए कोर्ट ने हमारी दलीलों को स्वीकार कर लिया है और सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आ गई है। कांग्रेस ने कहा है कि यह भारत के लिए एक जीत है। राफेल याचिका की समीक्षा के लिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सम्मानित कानूनी सिद्धांत को बरकरार रखा है। मोदीजी ने राफेल पर अपने भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए स्वतंत्र पत्रकारों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम लागू करने की धमकी दी थी। मोदीजी चिंता मत करो, अब जांच होने वाली है। चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं।”

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी पीएम मोदी पर सवाल उठाए हैं। केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है, “मोदी जी हर जगह कह रहे थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राफेल में क्लीन चिट मिली है। आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि मोदी जी ने राफेल में चोरी की है, देश की सेना से धोखा किया है और अपना जुर्म छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया।”

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि इस रक्षा सौदे में भ्रष्‍टाचार हुआ है। पीएम मोदी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए राफेल डील में गड़बड़ी की है।

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Published: 10 Apr 2019, 12:11 PM