सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अदालतों की कार्यवाही का अब होगा सीधा प्रसारण

सुप्रीम कोर्ट ने अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग के आदेश से अदालत की कार्यवाही में पारदर्शिता आएगी और यह जनहित में होगा।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

देश भर की अदालतों में होने वाली कार्यवाही का अब सीधा प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण और वीडियो रिकॉर्डिंग करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। हालांकि इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण की शुरुआत वह अपने यहां से करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग से जनता का हित जुड़ा हुआ है और इससे कोर्ट की प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता आएगी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस याचिका पर 24 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि वह अदालतों में बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए खुले कोर्ट की व्यवस्था लागू करना चाहती है।

पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुझाव दिया था कि पायलट परियोजना के आधार पर अहम मुकदमों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है। उन्होंने कहा था, “सीधे प्रसारण में 70 सेकेंड की देरी होनी चाहिए ताकि अगर कोई वकील दुर्व्यवहार करे, मामला व्यक्तिगत निजता या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसा संवेदनशील हो तो जज आवाज को बंद कर सकें।” अपनी सलाह में वेणुगोपाल ने ये भी सुझाव दिया था कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कोर्ट नंबर 1 (सीजेआई कोर्ट) से सीधा प्रसारण शुरू किया जा सकता है। इसकी सफलता पर निर्भर करेगा कि सुप्रीम कोर्ट की सभी और देशभर की अदालतों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाए या नहीं।”

साथ ही उन्होंने कोर्ट रूम से भीड़ कम करने के लिए कोर्ट परिसर में एक मीडिया रूम स्थापित करने का भी सुझाव दिया था ताकि वादी, पत्रकार, वकील और आगंतुक वहीं से कार्यवाही को देख सकें।

बता दें कि कानून की पढ़ाई कर रही एक छात्रा स्वप्निल त्रिपाठी ने याचिका दाखिल कर अदालती कार्यवाही का लाइव स्ट्रीमिंग रुम स्थापित करने और कानून के छात्रों को वहां जाने की सुविधा देने का अनुरोध किया था। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी याचिका दायर कर अहम मुकदमों की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का अनुरोध किया था। इसके अलावा एक गैरसरकारी संगठन ने भी इस मामले में जनहित याचिका दायर की थी।

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