सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना मृतकों के परिवार को माना मुआवजे का हकदार, NDMA को 6 हफ्ते में गाइडलाइंस लाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कोर्ट ने मोदी सरकार को गलती सुधारने का मौका दिया है। कम से कम अब सरकार को सही मुआवजा राशि तय कर पीड़ितों को राहत देनी चाहिए। ये सही दिशा में एक अहम कदम है।

फाइल फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़े फैसले में कोरोना महामारी के शिकार हुए लोगों के परिवार को मुआवजे का हकदार करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य किया गया है, जिसमें उन लोगों के परिवार के लिए अनुग्रह राशि प्रदान करना भी शामिल है, जिन्होंने कोविड के कारण अपनी जान गंवाई है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुग्रह राशि प्रदान नहीं करके, एनडीएमए अपने वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहा है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनडीएमए को राहत के न्यूनतम मानकों के अनुसार कोविड के कारण मरने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा प्रदान करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मोदी सरकार को गलती सुधारने का मौका दिया है। कम से कम अब सरकार को मुआवज़े की सही राशि तय करके पीड़ितों को राहत देनी चाहिए। ये सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


शीर्ष अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान करने की मांग को प्रतिध्वनित किया है। यह महामारी विश्व इतिहास में सबसे बुरी तबाही में से एक रही है और मोदी सरकार को हमारे लोगों की मदद करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए।"

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन जनहित याचिकाओं पर आया, जो अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल और अन्य द्वारा दायर की गई थीं, जिनमें कोविड पीड़ितों के परिवारों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। बंसल ने आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) की धारा 12 (3) का हवाला दिया, जिसमें अधिसूचित आपदा के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि का प्रावधान है।


अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 में इस्तेमाल किया गया शब्द 'होगा (शैल)' है, जो अनिवार्य है, और 'होगा' शब्द को 'हो सकता है (मे)' के रूप में जोड़ा गया है, जो प्रावधान के उद्देश्य को समाप्त कर देगा। पीठ ने कहा कि दिशानिर्देशों को छह महीने के भीतर लागू किया जाना चाहिए। यह कहते हुए कि अदालत के लिए मुआवजे की एक विशेष राशि का निर्देश देना उचित नहीं है, पीठ ने कहा, "क्या राशि प्रदान की जानी है, यह राष्ट्रीय प्राधिकरण के विवेक पर छोड़ दिया गया है।"

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कोरोना मृतकों के मृत्यू प्रमाण पत्र को लेकर भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कोविड रोगियों के लिए जारी किये गए मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु की तारीख और कारण सहित सरल दिशानिर्देश होने चाहिए। पीठ ने कहा, "परिवार के संतुष्ट नहीं होने पर मौत के कारणों को ठीक करने की भी सुविधा होनी चाहिए।"

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