किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र-राज्य सरकारों को नोटिस, कल तक मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर गतिरोध सुलझाने के लिए समिति बनाने को कहा है। जिसमें भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों तथा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि रहेंगे। इसके अलावा आंदोलनकारियों को हटाने की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भी नोटिस जारी किया है।

फोटो: विपिन
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पवन नौटियाल @pawanautiyal

मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसान संगठनों के आंदोलन का आज 21वां दिन है। किसान और केंद्र के बीच शुरू हुई ये लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर गतिरोध सुलझाने के लिए समिति बनाने को कहा है। जिसमें भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों तथा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि रहेंगे। इसके अलावा आंदोलनकारियों को हटाने की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकारों और किसान संगनों को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कल तक जवाब मांगा।

आपको बता दें, इस मामले में कल फिर सुनवाई होगी। इस मामले में लॉ स्टूडेंट ऋषभ शर्मा ने अर्जी लगाई थी। अर्जी में कहा गया था कि किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से जनता परेशान हो रही है। प्रदर्शन वाली जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग नहीं होने से कोरोना का खतरा भी बढ़ रहा है।

फोटो: विपिन
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सुनवाई के दौरान पिटीशनर के वकील ने शाहीन बाग के मामले की दलील दी तो, चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि कानून-व्यवस्था से जुड़े मामले में कोई उदाहरण नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगे हैं, कल फिर सुनवाई होगी।


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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि आप चाहते हैं बॉर्डर खोल दिए जाएं। जिसपर वकील ने कहा कि अदालत ने शाहीन बाग केस के वक्त कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए।

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बार-बार शाहीन बाग का हवाला देने पर चीफ जस्टिस ने वकील को टोका, उन्होंने कहा कि वहां पर कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है।

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