सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जहां भी प्रवासी मजदूर फंसे हैं, 15 दिन के भीतर उन्हें उनके कस्बों में वापस भेजा जाए

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके घर वापस भेजे जाएं। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत जो भी केस दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लॉकडाउन के चलते सैकड़ों मील की दूरी तय कर अपने-अपने गांवों में लौटने वाले प्रवासी मजूदरों के रोजगार की बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र को कहा गया है कि वह मौजूदा योजनाओं की पहचान करें।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन के भीतर उनके घर वापस भेजे जाएं। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत जो भी केस दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र और राज्य सुव्यवस्थित तरीके से प्रवासी श्रमिकों की पहचान के लिए एक सूची तैयार करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोजगार मुहैया कराकर प्रवासी मजदूरों को राहत दी जाए।


जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ ने लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे कामगारों की बदहाल स्थिति का स्वत: संज्ञान लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए अपने फैसले में विस्तृत निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि श्रमिक ट्रेनों की मांग की स्थिति में रेलवे 24 घंटे के भीतर ट्रेनें प्रदान करे। इसके अलावा रेलवे प्रवासी श्रमिकों को सभी सुविधाएं प्रदान करे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉगडाउन के दौरान अपने अपने पैतृक स्थानों की ओर जा रहे कामगारों की दुर्दशा का स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायालय ने मामले में पांच जून को केन्द्र और राज्य सरकारों का पक्ष सुनने के बाद कहा था कि इस पर नौ जून को आदेश सुनाया जाएगा।

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