सीबीआई विवाद पर मोदी सरकार को ‘सुप्रीम’ झटका, आलोक वर्मा की बहाली पर विपक्ष ने पीएम पर साधा निशाना

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के अधिकारियों के बीच जारी विवाद में मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सीवीसी के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सिलेक्ट कमिटी से सहमति लेनी चाहिए थी।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

सीबीआई विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरकार को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला रद्द करते हुए उन्हें वापस सीबीआई में बहाल कर दिया है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि सरकार को सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का कोई अधिकार नहीं है। सिर्फ सेलेक्ट कमेटी के पास ही ये अधिकार है। इस फैसले के बाद आलोक वर्मा सीबीआई के चीफ बने रहेंगे। हालांकि वह कोई लेकिन वो नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे।

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई अधिनियम के तहत उच्च शक्ति समिति एक हफ्ते के अंदर उनके मामले पर कार्रवाई करने का विचार करें। जब तक उच्च स्तरीय समिति आलोक वर्मा पर कोई फैसला नहीं ले लेता, तबतक वह कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकते हैं। बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आज छुट्टी पर थे इसलिए उनकी अनुपस्थिति में जस्टिस संजय किशन कौल ने फैसला सुनाया।

अलोक वर्मा के वकील संजय हेगड़े ने फैसले के बाद कहा, “यह एक संस्था की जीत है, देश में न्याय की प्रक्रिया अच्छी चल रही है। न्याय प्रक्रिया के खिलाफ कोई जाता है तो सुप्रीम कोर्ट उसके लिए मौजूद है।”

वहीं सुप्रीम कोर्ट के बाहर भूषण ने कहा, “सरकार इस मामले को प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई वाली उच्च स्तरीय समिति के सामने एक हफ्ते में लाए। जब तक वो उच्च स्तरीय समिति इस पर निर्णय न ले, तब तक आलोक वर्मा कोई बड़े नीतिगत फैसले नहीं ले सकते हैं।” प्रशांत भूषण ने इसे आलोक वर्मा की आंशिक जीत क़रार दिया।

इससे पहले 6 दिसंबर को मामले की सुनवाई हुई थी। जिसमें आलोक वर्मा, केंद्र और सीवीसी की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर भी सुनवाई की थी। इस याचिका में राकेश अस्थाना समेत सीबीआई अधिकारियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करने की मांग की गई थी।

फैसला आने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को बहाल किया जाना प्रधानमंत्री पर सीधे कलंक लगना है। मोदी सरकार ने हमारे देश के सभी संस्थानों और लोकतंत्र को बर्बाद कर दिया है। क्या सीबीआई निदेशक को आधी रात को गैरकानूनी तरीके से राफेल घोटाले की जांच रोकने के लिए नहीं हटाया गया, जो सीधे प्रधानमंत्री तक जाती है?।”

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कई ट्वीट कर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “मोदी पहले पीएम बन गए हैं जिनके गैरकानूनी आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है।”

उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा, “मोदी जी कृपया याद रखें कि सरकारें आती और जाती हैं। संस्थानों की स्वायत्तता स्थिर रहती है। इसे एक सबक की तरह याद रखें।”

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “हम किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं, यह केंद्र सरकार के लिए सबक है। आज आप इन एजेंसियों को लोगों पर दबाव डालने के लिए इस्तेमाल करेंगे, कल कोई और करेगा। फिर लोकतंत्र का क्या होगा ?”

वहीं एनसीपी के सांसद माजिद मेनन ने कहा, “यह रोशनी की किरण है। लोग सरकार से परेशान हो चुके हैं।”

बता दें कि अलोक वर्मा ने मोदी सरकार द्वारा उनके अधिकार छीनने और जबरन छुट्टी पर भेजने के खिलाफ याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार वर्मा और ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल 23 अक्टूबर को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। केंद्र ने इसके साथ ही ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक की जिम्मेदारी सौंप दी थी।

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Published: 08 Jan 2019, 12:01 PM