बुलंदशहर के प्राचीन मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का योगी सरकार को फटकार, कहा- यूपी में है जंगलराज, मांगा जवाब

बुलंदशहर के प्राचीन मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को एक बार फिर फटकार लगाई है। इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक आदेश के तहत कुछ भी कर सकते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बुलंदशहर के प्राचीन श्री सर्वमंगला देवी बेला भवानी मंदिर के मैनेजमेंट से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मंदिर मैनेजमेंट को लेकर कोई कानून नहीं है। ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश में अराजकता है।

मामला बुलंदशहर के करीब 300 वर्ष पुराने श्री सर्वमंगला देवी बेला भवानी मंदिर के प्रबंधन की गड़बड़ियों से जुड़ा है। इस मामले में याचिकाकर्ता विजय प्रताप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। इस चुनौती में कहा गया है कि मंदिर में आया चढ़ावा वहां काम करने वाले पंडों को दे दिया गया। इसके अलावा मंदिर प्रशासन पर दान के दुरुपयोग का आरोप लगा है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।


सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या यूपी में कोई भी मंदिर बना सकता है और पैसे इक्ठ्ठा कर सकता है? कोर्ट ने आगे पूछा कि मंदिर को लेकर कोई कानून क्यों नहीं है? जबकि मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के नियमन के लिए केंद्र सरकार का भी कानून है साथ ही कई राज्यों में भी कानून है। जबकि यूपी में कोई कानून नहीं है। अगर आपके यहां इसको लेकर कोई कानून नहीं है तो आपने केंद्र सरकार के कानून को नहीं अपनाया? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को 6 हफ्ते की मोहल्लत दी है जिसके अंदर उनको बताना है कि यूपी में कानून बना रहे है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल मंदिर का नहीं, बल्कि लोगों से जुड़ा मसला है। हमें लोगों से मतलब है।

इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वो यूपी सरकार से तंग आ चुके हैं और यूपी में ‘जंगलराज’ है। सुप्रीम कोर्ट सुनाई के दौरान यूपी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि अधिकतर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता?

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