जामिया हिंसा पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाने को कहा

जामिया हिंसा पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हम कोई ट्रायल कोर्ट नहीं हैं। हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा ।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जामिया हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वह पहले उन्हें समझाएं कि उनकी याचिका क्यों सुनी जाए। सीजेआई ने कहा कि इस मामला हाई कोर्ट क्यों नहीं ले जाया गया? याचिकाकर्ता ने कहा कि हिंसा पूरे देश में हो रही है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को दखल देना होगा। इस पर चीफ जस्टिस कहा कि हम ऐसा नहीं करेंगे, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल ना करें। याचिकाकर्ता ने जब कहा कि छात्रों की तरफ से हिंसा नहीं हुई है, तो चीफ जस्टिस ने पूछा कि हिंसा नहीं हुई तो बस कैसे जली थी?

वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हम कोई ट्रायल कोर्ट नहीं हैं। हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। यह कानून और व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जल गईं? आप न्यायिक उच्च न्यायालय से संपर्क क्यों नहीं करते?

सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि अगर पुलिस को लगता है कि कोई पत्थर फेंक रहा है, प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचा रहा है तो क्या पुलिस एफआईआर नहीं करेगी।


जामिया के छात्रों की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह स्थापित कानून है कि विश्वविद्यालय वैसी जगहें नहीं हैं, जहां पुलिस वीसी के बिना अनुमति के कैंपस में प्रवेश करे। एक छात्र के आंख की रोशनी चली गई है। कुछ छात्रों के पैर टूट चुके हैं। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक भी छात्र के आंख की रोशनी नहीं गई है।

वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह एक क्रॉस स्टेट मुद्दा है और इसमें एसआईटी को तथ्य खोजने की जरूरत है। कोर्ट ने जिस तरह से तेलंगाना एनकाउंटर केस को सुना, हम भी उसी तरह के आदेश के लिए कह रहे हैं। इस पर सीजेआई ने कहा कि तेलंगाना एनकाउंटर मामले में, एक आयोग मामले को देख सकता है. इस मामले में विभिन्न हिस्सों में विभिन्न घटनाएं हुई हैं और एक आयोग के पास उस प्रकार का अधिकार क्षेत्र नहीं हो सकता है।


सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा, “अगर आप (प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स) हमारे पास समाधान के लिए आए हैं तो आपको शांति से अपनी बात रखनी होगी. अगर प्रदर्शनकारी बने रहना चाहते हैं तो आप वही करें। हम अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यह जंग के माहौल में नहीं हो सकता. पहले यह सब (हिंसा) समाप्त होना चाहिए उसके बाद ही हम स्वत: संज्ञान लेंगे।”

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में छात्र सड़कों पर हैं। इस कानून के विरोध में दिल्ली के जामिया नगर क्षेत्र में जो हिंसा हुई और पुलिस की कार्रवाई हुई, उसके विरोध में देश की कई यूनिवर्सिटी प्रदर्शन कर रही हैं। रविरवार को प्रदर्शन के दौरान जामिया में हिंसा हुई थी जिसमें कई बसों को जला दिया गया था और कई छात्र घायल हुए थे।

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