SIR: सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया के खिलाफ DMK, TMC की याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब, दिए कई निर्देश

शीर्ष कोर्ट ने मद्रास और कलकत्ता हाईकोर्ट को एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हर तरह की कार्यवाही को स्थगित रखने का भी निर्देश दिया। उसने तमिलनाडु में इस प्रक्रिया का समर्थन करने वाली एआईएडीएमके की हस्तक्षेप याचिका को भी सूचीबद्ध करने की अनुमति दी।

सुप्रीम कोर्ट ने SIR के खिलाफ DMK, TMC की याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब, दिए कई निर्देश
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नवजीवन डेस्क

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की और निर्वाचन आयोग से अलग-अलग जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निर्वाचन आयोग से नई याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।

उच्चतम न्यायालय ने मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों को तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची की एसआईआर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हर प्रकार की कार्यवाही को स्थगित रखने का भी निर्देश दिया। उसने तमिलनाडु में इस प्रक्रिया का समर्थन करने वाली ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) की हस्तक्षेप याचिका को सूचीबद्ध करने की भी अनुमति दी।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, डीएमके की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह प्रक्रिया बिना निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए, जल्दबाजी में की जा रही है और मतदाताओं से अलग-अलग दस्तावेज़ मांगे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु नवंबर-दिसंबर के दौरान हमेशा पूर्वोत्तर मानसून से प्रभावित रहता है और तटीय जिलों में इस मौसम में भारी बारिश होती है। उन्होंने कहा, ‘‘मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष भारी बारिश का अनुमान है। इस वजह से, आम लोग इसके लिए तैयारी कर रहे होंगे और राजस्व अधिकारी, जिन्हें बीएलओ, ईआरओ, एईआरओ बनाया गया है, को बाढ़ राहत का प्रबंधन भी करना होगा।’’


इस पर न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में कुछ राज्यों को हमेशा प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि हमारे सामने जो मामला पेश किया जा रहा है, वह यह है कि मतदाता सूची पहली बार तैयार की जा रही है। हम भी जमीनी हकीकत जानते हैं। एक संवैधानिक प्राधिकार है, जो यह कर रहा है और उसे ऐसा करने का अधिकार है। पहले भी ऐसा किया जा चुका है।" न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि समस्या यह है कि हर कोई ‘यथास्थिति’ चाहता है।

सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहते हैं कि निर्वाचन आयोग अपना काम करे, लेकिन इस तरह और जल्दबाजी में नहीं। पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया से आशंकित नहीं होना चाहिए और आयोग इससे संबंधित सभी विवरण देगा। उसने कहा, ‘‘अगर हमें लगता है कि कुछ गड़बड़ है, तो हम पूरी प्रक्रिया को रद्द कर देंगे।’’ इस दलील पर कि एसआईआर के दौरान बिहार में अपनाई गई प्रक्रिया की तुलना में तमिलनाडु में अलग तरीके अपनाए जा रहे हैं, पीठ ने कहा कि इसका अर्थ है कि निर्वाचन आयोग ने अपनी गलतियों को सुधार लिया है।


निर्वाचन आयोग ने नवंबर से अगले साल फरवरी तक 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर प्रक्रिया का दूसरा चरण आयोजित करने की 27 अक्टूबर को घोषणा की थी। दूसरे चरण के तहत अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में एसआईआर होना है।तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होने हैं।

निर्वाचन आयोग ने कहा कि असम के लिए मतदाता सूची के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी। असम में 2026 में चुनाव होने हैं। एसआईआर प्रक्रिया का दूसरा चरण चार नवंबर को शुरू हुआ और यह चार दिसंबर तक जारी रहेगा। निर्वाचन आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।

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