राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद: फास्ट ट्रैक में मामला भेजा जाए या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

29 अक्टूबर को कोर्ट ने कहा था कि यह मामला जनवरी के पहले हफ्ते में उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध होगा, जो इस मामले की सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी। सुनवाई टलने पर देश में सियासी पारा चढ़ गया था। वीएचपी, बीजेपी और शिवसेना ने कोर्ट पर सवाल खड़े किए थे।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल को इस मामले में सुनाई करनी है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दाखिल 14 अपीलों पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय जजों की पीठ गठित किए जाने की संभावना है।

इससे पहले 29 अक्टूबर को इस मालमे की सुनवाई हुई थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि यह मामला जनवरी के पहले हफ्ते में उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध होगा, जो इस मामले की सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी। मामले की सुनवाई टलने पर देश में सियासी पारा चढ़ गया था। वीएचपी, बीजेपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठोनों सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए थे। साथ ही सुनवाई में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।

बाद में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने एक याचिका दाखिल सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की तारीख पहले करने की अपील की थी। हालांकि, कोर्ट ने इस मांग से इनकार कर दिया था। हिंदू महासभा इस मामले में मूल वादियों में से एक है।

वीएचपी और शिवसेना समेत कई संगठन केंद्र की मोदी सरकार से राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर अध्यादेश की मांग कर रहे हैं और अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। हाल ही में दिए एक टीवी को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि पहले इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा। अध्यादेश लाना सरकार का दूसरा वकल्प होगा।

वहीं 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच जजों की पीठ के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजने से इनकार कर दिया था। दरअसल, इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है।

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