जस्टिस शेखर यादव के विवादित भाषण का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांगी विस्तृत जानकारी

जस्टिस यादव ने कहा था कि यह देश बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक चलेगा। यह कानून है, जो यकीनन बहुसंख्यकों के मुताबिक काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें, केवल वही स्वीकार किया जाएगा, जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए लाभदायक हो।

जस्टिस शेखर यादव के विवादित भाषण का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांगी विस्तृत जानकारी
जस्टिस शेखर यादव के विवादित भाषण का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांगी विस्तृत जानकारी
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव द्वारा विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के एक समारोह में दिए गए विवादित भाषण पर संज्ञान लेते हुए मंगलवार को संबंधित अदालत से विस्तृत जानकारी मांगी। शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति यादव के कथित भाषण पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय को विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान अखबारों में छपी रिपोर्ट पर ध्यान देकर हाईकोर्ट से डिटेल में इसका ब्योरा मांगा है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘‘शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का संज्ञान लिया है। उच्च न्यायालय से विवरण और जानकारियां मंगाई गई हैं और मामला विचाराधीन है।’’

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा था, "मुझे ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के मुताबिक, चलेगा। यह कानून है, कानून, यकीनन बहुसंख्यकों के मुताबिक काम करता है। इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें, केवल वही स्वीकार किया जाएगा, जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए फायदेमंद हो।"


जस्टिस शेखर यादव ने यह टिप्पणी 8 दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विहिप के प्रांतीय विधिक प्रकोष्ठ एवं उच्च न्यायालय इकाई के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की थी।बहुमत के अनुसार काम करने वाले कानून सहित विभिन्न मुद्दों पर न्यायमूर्ति यादव के वीडियो एक दिन बाद व्यापक रूप से प्रसारित हो गए। इसपर विपक्षी दलों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और उन्होंने न्यायाधीश के कथित बयानों पर सवाल उठाए और इसे घृणास्पद भाषण करार देते हुए शीर्ष कोर्ट से कार्रवाई की मांग की।

इस बीच, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति यादव के आचरण की "इन-हाउस जांच" की मांग की। प्रशांत भूषण ने अपने पत्र में कहा है कि न्यायमूर्ति यादव ने यूसीसी का समर्थन करते हुए एक भाषण दिया, विवादास्पद टिप्पणी की, जिसे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाला माना जाता है।


इससे पहले सितंबर 2021 में जस्टिस शेखर यादव ने गायों के वध पर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, "गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गोरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार माना जाना चाहिए, क्योंकि जब देश की संस्कृति और आस्था को ठेस पहुंचती है, तो देश कमजोर हो जाता है।" उन्होंने कहा था कि गाय भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उन्होंने कहा था, ‘‘भारतीय वेदों, पुराणों, रामायण आदि में गाय का बहुत महत्व दिखाया गया है। इस कारण, गाय हमारी संस्कृति का आधार है।"

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