उद्धव ठाकरे गुट को 'सुप्रीम' राहत! SC ने कहा- शिवसेना विवाद में चुनाव चिह्न पर फिलहाल फैसला न करे EC

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुटे से सवाल पूछा कि अगर आप चुने जाने के बाद राजनीतिक दल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है? इस सवाल के जवाब में शिंदे गुट के वकील ने कहा कि नहीं, हम ऐसा नहीं कह रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

शिवसेना विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे खेमे को राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव चिह्न को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं करेगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि इस मामले में वह फिलहाल कोई फैसला ना ले। अब सभी पक्ष चुनाव आयोग में हलफनामा दायर कर सकते हैं। 8 अगस्त को चुनाव आयोग में जवाब दाखिल करना है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी। क्या मामले को संवैधानिक पीठ को भेजा जाए इस पर सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को विचार करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान शिंदे गुटे से सवाल पूछा कि अगर आप चुने जाने के बाद राजनीतिक दल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहे हैं तो क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा नहीं है? इस सवाल के जवाब में शिंदे गुट की ओर से अदालत में पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा कि नहीं, हम ऐसा नहीं कह रहे हैं। हमने राजनीतिक दल को छोड़ा ही नहीं है। शिंदे गुट से अदालत ने यह सवाल तब पूछा जब सुनवाई के दौरान वकील साल्वे ने कहा कि अगर कोई भ्रष्ट आचरण से सदन में चुना जाता है और जब तक वह अयोग्य घोषित नहीं होता तब तक उसके द्वारा की गई कार्रवाई कानूनी होती है। जब तक उनके चुनाव रद्द नहीं हो जाते, तब तक सभी कार्रवाई कानूनी है।


अदालत में शिंदे गुट के वकील साल्वे ने कहा कि याचिका दाखिल करने और अयोग्यता के खिलाफ कार्रवाई दो महीने बाद होती है। उस दौरान वह सदन में वोट दे देता है तो ऐसा नहीं है कि दो महीने बाद वह अयोग्य होता है तो उसका वोट मान्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में सिर्फ उसे अयोग्य माना जाएगा ना की उसके द्वारा किए गए वोट को।

वकील साल्वे की दलील पर सीजेआई ने पूछा कि जब आप अदालत आए थे तब हमनें कहा था की स्पीकर इस मामले का (अयोग्यता) का निपटारा करेंगे न कि सुप्रीम कोर्ट न ही हाईकोर्ट। तो आपके कहने का मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट फैसला नहीं कर सकते। आप कहते हैं कि स्पीकर को पहले फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर साल्वे ने कहा कि बिल्कुल।

सीजेआई ने उद्धव ठाकरे खेमे के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि राजनीतिक पार्टी की मान्यता का यह मामला है, इसमें हम दखल कैसे दें? चुनाव आयोग में यह मामला है। कवकील कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की अदालत से मांग की। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग यह निर्धारित नहीं कर सकता कि असली शिवसेना कौन है? बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला होने तक चुनाव आयोग यह फैसला नहीं कर सकता। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सिब्बल ने कहा कि मान लें कि चुनाव आयोग इस मामले में फैसला देता है और तब अयोग्यता पर फैसला आता है तो फिर क्या किया जाएगा?

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