कांग्रेस कार्यसमिति ने चीन, कोरोना और तेल कीमतों पर मोदी सरकार को घेरा, बीजेपी की नीतियों को ठहराया जिम्मेदार

कांग्रेस कार्यसमिति ने आज हुई बैठक में चीन के साथ सीमा विवाद, कोरोना संकट, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि और भयानक आर्थिक संकट पर चर्चा की। कार्यसमिति ने बयान जारी कर इन संकटों के लिए बीजेपी सरकार के कुप्रबंधन और उसकी गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना संकट और चीन के साथ सीमा विवाद के बीच आज कांग्रेस कार्यसमिति की अहम बैठक हुई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी शामिल हुए। कांग्रेस कार्यसमिति ने आज हुई बैठक में चीन के साथ सीमा विवाद, कोरोना संकट, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि और भयानक आर्थिक संकट पर चर्चा की। बैठक के बाद कार्यसमिति ने बयान जारी कर इन संकटों के लिए बीजेपी सरकार के कुप्रबंधन और उसकी गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।

बैठक में सबसे पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कार्यसमिति ने सबसे पहले लद्दाख के गलवान घाटी में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट का मौन रखा। कांग्रेस कार्यसमिति ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 16वीं बिहार रेजिमेंट के कर्नल बी. संतोष बाबू और हमारे बीस साहसी जवानों के देश के लिए दिए गए सर्वोच्च बलिदान को याद करती है और उन्हें सलाम करती है। पूरा देश उनके अदम्य साहस और शहादत को सम्मान और कृतज्ञता के साथ सदैव याद रखेगा।

कांग्रेस कार्यसमिति ने बायन में कहा कि पार्टी कार्यसमति पुनः दोहराती है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दृढ़ संकल्प के साथ भारतीय सेना के साथ खड़ी है और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा भूभागीय अखंडता के लिए उठाए गए सरकार के प्रयासों में अनावृत सहयोग देने के लिए वचनबद्ध है। देश सेवा में प्रतिबद्ध हमारी सेना के अदम्य साहस और बलिदान पर कांग्रेस कार्यसमिति को गर्व है।

गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो झील और हॉट स्प्रिंग्स के भारतीय इलाकों में जबरन चीनी घुसपैठ की अनेक खबरों पर कांग्रेस कार्यसमिति गहन चिंता व्यक्त करती है। चीन सहित किसी को भी इस बात में संदेह नहीं होना चाहिए कि ये इलाके भारत के अखंड भूभाग के अभिन्न व अविभाज्य हिस्से हैं। मनमाने और अकारण अतिक्रमण और घुसपैठ द्वारा गलवान घाटी सहित हमारे भूखंड पर दावा करने का चीनी दुस्साहस न तो सहन किया जाएगा और न ही स्वीकार्य है। हमारे देश की एक-एक इंच जमीन की रक्षा करने और हर घुसपैठ को दृढ़ता और निर्णायक रूप से नाकाम करने के लिए केंद्र सरकार कर्तव्यबद्ध है।

कार्यसमिति ने कहा कि कांग्रेस ने मई से लेकर आज तक अनेकों बार चीन की घुसपैठ के विरुद्ध हमारी भूभागीय अखंडता की रक्षा और सुरक्षा का मामला उठाया है। पर सरकार और सरकार के सहयोगियों ने प्रत्युत्तर में केवल हर बात को खारिज करने, गुमराह करने और भ्रमित करने की नीति अपनाई। सामने आ रहे तथ्य, सरकार द्वारा जनता को परोसी जा रही कहानी के बिल्कुल विपरीत हैं।

सरकार के अंदर के विरोधाभास खुलकर सामने आ गए हैं। रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय द्वारा (क्रमशः 3 जून, 17 जून और 20 जून, 2020 को) मई, 2020 से ‘‘बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी’’; मई, 2020 की शुरुआत से ‘‘भारतीय सेना की सामान्य पैट्रोलिंग को बाधित करने’’; मई, 2020 के मध्य से चीन द्वारा ‘‘भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों के पश्चिमी सेक्टर के अन्य इलाकों में एलएसी को पार कर घुसपैठ करने’’; तथा 6 जून, 2020 के बाद चीनियों द्वारा ‘‘गलवान घाटी में एलएसी को पार कर हमारे हिस्से में ढांचा खड़ा करने’’ के बारे में बार बार बयान दिए गए।

इन आधिकारिक बयानों के विपरीत, प्रधानमंत्री ने 19 जून, 2020 को कहा कि ‘‘भारतीय सीमा में किसी ने घुसपैठ की ही नहीं‘’। उसके अगले ही दिन, 20 जून की शाम को विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर एक बार फिर प्रधानमंत्री के बयान का खंडन कर दिया। चीनी घुसपैठ को सिरे से खारिज करने के प्रधानमंत्री के बयान के दूरगामी प्रभाव हैं। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों से चीन के षड़यंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए, खासतौर से जब यह साफ है कि उन्होंने हमारी सरजमीं पर घुसपैठ की।

हमारे प्रजातंत्र में विपक्ष का यह कर्तव्य और अधिकार है कि जब सरकार के समक्ष देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा हो, तो वो सवाल उठा सरकार से देशहित में स्पष्टीकरण मांगे। साथ ही, सरकार की जिम्मेदारी है कि वह विपक्ष द्वारा व्यक्त चिंताओं का समाधान करे और विपक्ष द्वारा पूछे गए सवालों का ईमानदारी से जवाब दे। कांग्रेस कार्यसमिति केंद्र सरकार से निम्नलिखित सवाल पूछना चाहती है:-

1. अप्रैल-मई 2020 से अब तक गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील में हमारी सरजमीं पर चीनी सेना द्वारा कितनी बार घुसपैठ की गई और घुसपैठ की कोशिश की गई है?

2. प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में यह क्यों कहा कि ‘‘हमारी सरजमीं पर किसी ने घुसपैठ नहीं की’’। कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों द्वारा पूछे जाने पर पीएमओ ने 19 जून, 2020 के अपने आधिकारिक बयान से इन शब्दों को क्यों हटा दिया? पीएमओ को 20 जून, 2020 को इसका स्पष्टीकरण देने को मजबूर क्यों होना पड़ा?

3. प्रधानमंत्री ने चीनी घुसपैठ के मामले में अपने रक्षामंत्री और विदेश मंत्री द्वारा दिए गए बयानों के विपरीत बयान क्यों दिया?

4. फिर, विदेश मंत्रालय का 20 जून, 2020 का बयान प्रधानमंत्री के 19 जून, 2020 के बयान के विपरीत क्यों है? प्रधानमंत्री के बयान के अनुसार तो चीनी सेना द्वारा हमारी जमीन में कोई घुसपैठ नहीं की गई, तो फिर विदेश मंत्रालय ने 20 जून, 2020 की शाम को बयान जारी करके यह क्यों कहा कि चीनी सेना मई 2020 की शुरुआत से ही ‘‘भारतीय सेना की पैट्रोलिंग में बाधा डाल रही थी’’, चीन ने मई, 2020 के मध्य में ‘‘भारत चीन सीमावर्ती इलाकों के पश्चिमी सेक्टर के अन्य हिस्सों में एलएसी को पार कर घुसपैठ करने’’ का प्रयास किया, तथा चीनी सेना 6 जून, 2020 के बाद ‘‘एलएसी को पार कर हमारे इलाके में ढांचा खड़ा करने’’ का प्रयास कर रहे थी?

5. सरकार पूर्व की यथास्थिति बहाल करने के लिए क्या कदम उठाएगी?

भारत की भूभागीय अखंडता से कोई समझौता हो ही नहीं सकता। कांग्रेस कार्यसमिति यह उम्मीद करती है कि प्रधानमंत्री अपने इस वादे पर खरा उतरेंगे कि हमारे साहसी सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। कांग्रेस पार्टी भारत का राष्ट्रीय हित सुरक्षित करने और चीन के दुस्साहसी और दुर्भावनापूर्ण मनसूबों को नाकाम करने के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय सर्वसम्मति बनाने के लिए दृढ़ता से संकल्पबद्ध है।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कार्यसमिति ने कहा कि लॉकडाउन के पिछले तीन महीनों के दौरान पेट्रोल और डीजल की कीमतों और उत्पाद शुल्क में बार-बार की जाने वाली अन्यायपूर्ण बढ़ोतरी पर कांग्रेस कार्यसमिति अपनी चिंता और आघात को व्यक्त करती है। केंद्र सरकार द्वारा भारत के लोगों पर ये जबरन वसूली की चोट तब बढ़ाई गई है जब वे कोविड-19 महामारी के कारण पहले ही अभूतपूर्व आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

कांग्रेस कार्यसमिति इस बात का नोट लेती है कि कई विरोधों और कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री का इस घोर असंवेदनशीलता और बेरहमी की ओर ध्यान आकर्षित करने के व्यापक रूप से प्रकाशित अनुरोध के बावजूद, केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बिना औचित्य के 17 दिनों से लगातार वृद्धि की है। कुल मिलाकर, पेट्रोल और डीजल की कीमतों और उत्पाद शुल्क में 14 मार्च, 2020 के बाद से 19 अलग-अलग अवसरों पर वृद्धि की गयी है।

कांग्रेस कार्यसमिति इस बात का नोट लेती है कि केंद्र सरकार भारत के लोगों को खसोट कर मुनाफाखोरी कर रही है। कांग्रेस कार्यसमिति पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इन वृद्धियों की निंदा करती है क्योंकि यह ऐसा कदम है जो बढ़ती बेरोजगारी, गहरी आय की कमी और भारी वेतन कटौती से जूझ रहे परेशान और पीड़ित लोगों का सरासर शोषण करते हुए उनकी कीमत पर सरकार को अन्यायपूर्ण ढंग से समृद्ध करता है।

कांग्रेस कार्यसमिति सरकार को उसके 'राज धर्म’ की याद दिलाती है। किसी भी सरकार को अपने लोगों पर इस तरह का अस्वीकार्य आर्थिक दबाव नहीं डालना चाहिए, जब वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभाव व्यापारों को नष्ट कर रहे हों, मध्यम वर्ग की आय और बचत को तेजी से ख़त्म कर रहा हो, और किसान खरीफ के मौसम की फसल बोने के लिए संघर्ष कर रहे हों। यदि सरकार ने इस बिना विचार किये उठाये गए क़दमों में सुधार नहीं किया तो इससे विध्वंसकारी परिणाम निकलेंगे, जिसमें कई मध्यम आय वाले परिवारों गरीबी के हाशिए पर धकेल दिया जाएंगे और गरीब पूरी आर्थिक बर्बादी की ओर धकेल दिया जाएंगे।

कांग्रेस कार्यसमिति इस बात का नोट लेती है कि पिछले छह वर्षों में विशेष रूप से कच्चे तेल की ऐतिहासिक रूप से कम वैश्विक कीमतों के दृष्टिगत उपरोक्त परिणाम निश्चित रूप से टालने योग्य हैं। दूसरे शब्दों में, वर्तमान सरकार ने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा नागरिकों को (कम कीमतों का) लाभ पहुंचाने के रास्ते पर चलने की बजाय, पिछले छह वर्षों में 12 बार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने का विकल्प चुना है और पिछले छह वर्षों में अकेले पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क से 18,00,000 करोड़ रुपए की चौंका देने वाली राशि वसूली।

कांग्रेस कार्यसमिति सरकार को याद दिलाती है कि यह पैसा लोगों का है और कर तथा शुल्क लोगों के हितों की सेवा के लिए होते हैं। डीजल और पेट्रोल की कीमतों और उत्पाद शुल्क में हर वृद्धि, ख़ासतौर पर एक महामारी के दौरान वृद्धि प्रशासनिक निष्ठुरता और अन्याय को चिह्नित करती है।

कांग्रेस कार्यसमिति सरकार को याद दिलाती है कि राष्ट्र अभूतपूर्व व गंभीर स्वास्थ्य और आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहा है। कांग्रेस कार्यसमिति इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि राष्ट्र में लॉकडाउन से पहले, दिल्ली में पेट्रोल की औसत कीमत 69.60 रु. प्रति लीटर थी, जो अब 79.76 रुपये है। लॉकडाउन से पहले डीजल की कीमत 62.30 रु प्रति लीटर थी, जो अब 79.40 रुपये है। यह वृद्धि अपने आप बोलती है कांग्रेस कार्यसमिति केंद्र सरकार से इन विचारहीन वृद्धियों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने और इस देश के नागरिकों को कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ देने की मांग करती है।

साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति इस तीव्र संकट के समय में खाद्य सुरक्षा अधिनियम और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के द्वारा निभाई महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से सराहना की गई भूमिका के महत्व को स्वीकार करती है। मनरेगा के तहत गारंटीकृत कार्यदिवसों को 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग करने वाली आवाज़ों में कांग्रेस कार्यसमिति अपने आपको शामिल करती है।

कांग्रेस कार्यसमिति यह भी मांग करती है कि पीडीएस राशन की दुकानों (खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत) के माध्यम से चावल, गेहूं और बाजरा के वितरण के बारे में सारे आंकड़ों को एक डेटाबेस पर अपलोड किया जाए ताकि उनके कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित किया जा सके और खाद्य असुरक्षा के क्षेत्रों की पहचान करके वहां और तेजी से पहुंचा जा सके।

कांग्रेस कार्यसमिति केंद्र सरकार से हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवारों के लिए) के विशेष प्रावधान को कम से कम जून से सितंबर 2020 तक बढ़ाए जाने का आह्वान करती है। सीडब्ल्यूसी यह भी अनुरोध करती है कि ऐसे प्रवासियों के लिए, जो किसी भी अन्य केंद्रीय या राज्य योजना के तहत खाद्यान्न के हकदार नहीं हैं, के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अतिरिक्त खाद्यान्न के विशेष प्रावधान को भी सितंबर 2020 तक बढ़ाया जाए। कांग्रेस कार्यसमिति सरकार से उन सभी व्यक्तियों, जो किसी भी लाभार्थी सूची में नहीं आते हैं, को अस्थाई राशन कार्ड प्रदान करने का आह्वान करती है ताकि इन अधिकारों के लिए व्यापक आधार को लक्षित किया जा सके।

कांग्रेस कार्यसमिति गरीब से गरीब व्यक्ति को सीधे नकद हस्तांतरण पर विचार करने के लिए केंद्र सरकार को आग्रह करती है। यदि सरकार अर्थव्यवस्था को किक स्टार्ट करने और उपभोग/मांग को पुनर्जीवित करने के बारे में गंभीर है, तो उसे ऐसे एक पैकेज से ज्यादा की घोषणा करनी चाहिए जो कि सकल घरेलू उत्पाद के 0.8% से भी कम है और जिसमें बड़े पैमाने पर ऋण विकल्प ही दिए गए हैं। कार्यसमिति सरकार से गरीबों के खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर तंत्र के माध्यम से नकदी का इंजेक्शन लगाकर अर्थव्यवस्था में विश्वास जगाने का आग्रह करती है।

कोरोना संकट पर कांग्रेस कार्यसमिति ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में कोविड-19 संक्रमण का ग्राफ थमने की बजाय बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो संक्रमण का शिखर अभी तक नहीं पहुंचा है। हम उन 14,000 से ज्यादा लोगों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्होंने इस महामारी के चलते अपने प्रियजनों को खो दिया।

कांग्रेस कार्यसमिति कोरोना वॉरियर्स, यानि हमारे डॉक्टर्स, हमारी नर्सों, हमारे पैरामेडिक्स और हॉस्पिटल स्टाफ, आशा एवं आंगनवाडी कार्यकर्ता, हमारे पुलिस के जवानों, सफाईकर्मियों और उन सभी कर्मियों के प्रति गहरा आभार और कृतज्ञता व्यक्त करती है, जो अपना जीवन जोखिम में डालकर अथक सेवा कर रहे हैं।

गंभीर बात यह है कि जहां हमारे देश में मात्र पिछले आठ दिनों में एक लाख पॉज़िटिव मामले सामने आए, वहीं अब देश में प्रतिदिन संक्रमण के लगभग 15,000 नए मामले सामने आ रहे हैं।हमारे अस्पतालों के लिए यह कड़ी परीक्षा का समय है, हमारे स्वास्थ्यकर्मियों पर भारी दबाव और अत्यधिक बोझ है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया है और बगैर जरूरी सहयोग दिए पूरा का पूरा दारोमदार राज्य सरकारों के सिर मढ़ दिया है। अनेकों मरीज या तो इलाज का खर्च उठाने में असमर्थ हैं या फिर उनका इलाज करने से मना तक कर दिया जा रहा है।

असाधारण समय पर असाधारण उपाय करने पड़ते हैं। सीडब्लूसी केंद्र सरकार से आग्रह करती है कि जो मरीज प्राईवेट अस्पतालों में कोविड-19 का इलाज कराने के लिए भारी मूल्य चुका रहे हैं, उन सब अस्पतालों में इलाज की कीमत की सीमा तत्काल निर्धारित की जाए। केंद्र सरकार को कोविड के इलाज के लिए अनुमोदित दवाईयां आसानी से उपलब्ध करवाकर उनकी कीमतों को नियंत्रित करना चाहिए और अत्यधिक ऊंचे मूल्य एवं काला बाजारी पर रोक लगानी चाहिए।

साथ ही कांग्रेस कार्यसमिति उन खबरों पर चिंता व्यक्त करती है, जिनके मुताबिक बीमा कंपनियां कोविड-19 के इलाज के लिए कवर या सहयोग नहीं दे रही हैं, जिस वजह से इस महामारी के होने पर मरीज वित्तीय भार के बोझ तले दबे जा रहे हैं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार और बीमा नियामक को आवश्यक उपाय करने चाहिए तथा ऐसा न करने वाली बीमा कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए।

कांग्रेस कार्यसमिति इस बात की ओर भी ध्यान आकृष्ट करना चाहती है कि इस महामारी के चार महीने बीत जाने के बाद भी अचंभा इस बात का है कि मोदी सरकार के पास अब भी इस बीमारी से होने वाली मौतों को रोकने, टेस्टिंग बढ़ाने, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग तथा सोशल डिस्टैंसिंग सुनिश्चित करने के साथ साथ संक्रमण की सबसे ज्यादा संभावना वाले लोगों की सुरक्षा के लिए कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं है। न तो अस्पतालों में मौजूद बेड्स और वेंटिलेटर्स के बारे में कोई देशव्यापी डेटा है और न ही भविष्य में उनकी क्षमता बढ़ाए जाने को लेकर कोई स्पष्टता।

केंद्र सरकार को इस नाजुक स्थिति का न तो कोई अहसास है और न ही नए युवा डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की शीघ्र नियुक्ति कर निरंतर दबाव में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की फौज को बढ़ाने की कोई विश्वसनीय योजना। हमारे नागरिकों को तीव्र और प्रभावशाली जनस्वास्थ्य सेवाएं दिए जाने के लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरत है।

पीएम केयर्स फंड के पैसे का सिर्फ आंशिक इस्तेमाल किया गया है और वह भी बगैर किसी पारदर्शिता या जवाबदेही के। आईसीएमआर द्वारा निर्धारित टेस्टिंग प्रोटोकॉल भी लगातार बदल रहे हैं। हाल ही में आरटी-पीसीआर टेस्ट्स के मुकाबले कम सेंसिटिविटी वाली एंटीजन टेस्टिंग की योजना ने पिछली नीति को और ज्यादा भ्रामक बना दिया है। टेस्टिंग डेटा के मामले में न तो स्थिरता है और न ही कोई पारदर्शिता। केंद्र सरकार की तरफ से सही मास्किंग प्रोटोकॉल एवं सोशल डिस्टैंसिंग सुनिश्चित करने के बारे में कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया और सीमित जन जागरुकता की खबरें सुर्खियों में बनी रहती हैं।

इस महामारी को प्रभावशाली तरीके से नियंत्रित करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति केंद्र सरकार से आग्रह करती है कि समाज के सभी वर्गों को इस अभियान से जोड़े और समर्थ बनाए, ताकि वो समन्वय बनाकर शीघ्रता से काम कर सकें। नागरिक समूहों, स्वैच्छिक संगठनों, पंचायतों और शहरों में नगर पालिकाओं और परिषदों की प्रतिभागिता केवल देश के कुछ ही हिस्सों में नजर आई। ग्रेड-1 की संपूर्ण सुविधाएं प्रदान करने के योग्य और इच्छुक एनजीओ को भी सरकार द्वारा हैल्थकेयर के काम में शामिल किया जाना चाहिए। राष्ट्र के इस प्रयास में ‘सब का साथ’ के लिए ‘सब का हाथ’ होना आवश्यक है। इस समय सबको संगठित करें, न कि विभाजित। सभी की सुरक्षा करें, न कि भेदभाव।

एक और गंभीर चिंता का विषय है कि संक्रमण के शिकार व्यक्तियों के शवों को परिवार को शीघ्रता से सौंपने और प्रियजनों के सम्मान और भावनाओं को ध्यान में रखकर उनका अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया में एसओपी का पूर्ण अभाव है। दुख की इस घड़ी में सरकार को परिवारों को शव शीघ्रता से सौंपने और पूर्ण सम्मान तथा गरिमा के साथ उनका शीघ्रता से अंतिम संस्कार किए जाने के लिए एक प्रोटोकॉल निर्धारित करना चाहिए।

कांग्रेस कार्यसमिति ने बयान में कहा कि यह समय है कि जब मोदी सरकार इन सभी मामलों पर चर्चा कर, देश को विश्वास में ले और आम भारतीय के जीवन और आजीविका की रक्षा करने बारे ‘खोखली बातें’ छोड़कर ‘ठोस उपाय’ करे। राष्ट्र के रूप में ‘आत्मनिर्भर’ बनने और कोविड-19 से लड़ने के लिए मोदी सरकार को इस महान देश की शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए, न कि इसका तिरस्कार।

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