हाथरस पीड़िता के घर मिली संदिग्ध महिला पेशे से डॉक्टर निकली, इससे पहले ‘आगरा’ में खुद को ‘मौसी’ बताया था

डॉ. राजकुमारी बंसल ने कहा कि वह मानवीय आधार पर परिवार के साथ थी और पीड़ित परिवार के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने मुझे माओवादी भी कहा है। ये निंदनीय और बेबुनियाद आरोप हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

उत्तर प्रदेश के नृशंस हाथरस गैंगरेप और हत्याकांड में पीड़िता के घर 'भाभी' के रूप में अपने आप को प्रचारित करने वाली महिला पेशे से डॉक्टर है। पता चला है कि यह वही महिला है जो खुद को आगरा में कथित प्रेमी द्वारा 2018 में जिंदा जलाई गई 15 साल की लड़की संजली की 'मौसी' बता रही थी। महिला ने दिनों आगरा का दौरा किया था और शव का दाह संस्कार रोकने की भी कोशिश की थी। स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस को बुलाए जाने पर वह वहां से चली गई। पीड़िता के परिवार ने भी उसे पहचानने से इनकार कर दिया था।

'मौसी' और फिर 'भाभी' के रूप में पहचान बताने वाली यह महिला दरअसल जबलपुर के एक अस्पताल की फिजीशियन डॉ. राजकुमारी बंसल है और वह जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहले डॉक्टर रह चुकी है। हाथरस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने पाया कि 'भाभी' 16 सितंबर से 22 सितंबर के बीच हाथरस में पीड़ित परिवार के साथ सहानुभूति जताने के लिए रही थी।

जब इस महिला के बारे में कहानियों का दौर शुरू हुआ और एक स्थानीय समाचारपत्र ने उसके बारे में छापा, तो डॉ. राजकुमारी बंसल ने अपने जवाब में कहा, "मैं मानवीय आधार पर परिवार के साथ थी। मेरा पीड़ित परिवार के साथ कोई संबंध नहीं है। मैं इस मुश्किल समय में परिवार के साथ रहना चाहती थी, और उनके आग्रह पर मैं वहां थी।"

राजकुमारी बंसल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में विवाहित महिलाओं को 'भाभी' के रूप में पुकारा जाना आम बात है। उन्होंने उन खबरों का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि उनके नक्सलियों से संबंध हैं। उन्होंने कहा, "अगर यह सच है कि मैं नक्सलियों के साथ हूं, तो अधिकारियों को यह साबित करना होगा।"

उन्होंने बताया कि उनके हाथरस प्रवास के दौरान भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद भी वहां आए थे। उसने कहा, "मेरे प्रवास के दौरान, भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर परिवार से मिलने आए थे। कुछ लोगों और मीडियाकर्मियों ने मेरा वीडियो शूट किया जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और कुछ लोगों ने मुझे माओवादी भी कहा है। ये निंदनीय और बेबुनियाद आरोप हैं।"

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