जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने से संबंधित बातचीत जारी है: उमर अब्दुल्ला

संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या पहलगाम आतंकवादी हमले से जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने से जुड़ी बातचीत प्रभावित हुई है? उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘नहीं, बिलकुल नहीं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर बातचीत रुकी नहीं है। उमर ने साथ ही कहा कि उन्होंने हाल ही में नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में यह मुद्दा उठाया था।

श्रीनगर से 52 किलोमीटर दूर उत्तर कश्मीर के इस पर्यटन केंद्र गुलमर्ग में संवाददाताओं द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या पहलगाम आतंकवादी हमले से जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने से जुड़ी बातचीत प्रभावित हुई है? उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘नहीं, बिलकुल नहीं। अगर आप नीति आयोग की बैठक में दिया गया औपचारिक भाषण देखेंगे, जो माननीय प्रधानमंत्री और नीति आयोग के शासी परिषद के सदस्यों को दिया गया था तो आपको उसमें राज्य का दर्जा वापस करने का स्पष्ट उल्लेख मिलेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, राज्य के दर्जे को लेकर बातचीत रुकी नहीं है। एकमात्र चीज जो मैं करने के लिए तैयार नहीं था, वह थी (जम्मू कश्मीर) विधानसभा के विशेष सत्र का इस्तेमाल राज्य के दर्जे के बारे में बात करने के लिए करना। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि बातचीत रुक गई है। बातचीत जारी है।’’


पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने के मुद्दे पर यहां एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि देश के अन्य भागों से लोगों के आने की अपेक्षा करने से पहले कश्मीरियों को घाटी में पर्यटन स्थलों का दौरा करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘इन स्थानों पर प्रचार-प्रसार और सक्रिय गतिविधि होनी चाहिए। मैंने शिक्षा मंत्री से विद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए पिकनिक शुरू करने को कहा है, ताकि हम सामान्य स्थिति की ओर वापस बढ़ सकें।’’

सिविल प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के अलावा बैठक में कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक, उत्तर कश्मीर के उप महानिरीक्षक और बारामुला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी शामिल हुए।

मंगलवार को अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में अपने कैबिनेट की एक बैठक की अध्यक्षता की थी।

उच्च सुरक्षा वाले सिविल सचिवालय के बाहर बैठकें आयोजित करने का उद्देश्य लोगों में सुरक्षा और विश्वास की भावना उत्पन्न करना है।

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास यह संदेश देना है कि जम्मू कश्मीर पर्यटन के लिए तैयार है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि अन्य जगहों के लोगों को इस हमले के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर के लोगों ने यह हमला नहीं किया। यह हमारी अनुमति से या हमारे लाभ के लिए नहीं किया गया। लेकिन फिर भी अगर आप कश्मीर के लोगों को दंडित करते हैं, उनका बहिष्कार करते हैं, तो हम क्या करेंगे? इसलिए मैं चाहता हूं कि केंद्र इसे नजरअंदाज न करे, उसे जांच एजेंसियों का इस्तेमाल जांच करने और इस अभियान को रोकने के लिए करना चाहिए।’’

पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए एक स्मारक के बारे में उन्होंने कहा कि इस संबंध में कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया है और सड़क एवं भवन विभाग को एक ठोस प्रस्ताव तैयार करने का काम सौंपा गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘सड़क एवं भवन विभाग को इस स्मारक के लिए डिजाइन के संदर्भ में रुचि पत्र आमंत्रित करने के लिए कहा गया है। यह आने पर हम इसे आगे बढ़ाएंगे।’’

अब्दुल्ला ने कहा कि वह आभारी हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटन प्रतिनिधिमंडल कश्मीर में पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने के वास्ते स्थिति का आकलन करने के लिए आए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कुछ पर्यटन स्थल पूरी तरह से बंद हैं, जबकि कुछ स्थलों पर आंशिक रूप से बंदी है।

उन्होंने कहा, ‘‘22 अप्रैल के बाद यह बाध्यता थी। हमें धीरे-धीरे सूची की समीक्षा करनी होगी। पिछली घटनाओं और इस घटना में अंतर है। लोग खुद ही विरोध करने के लिए सामने आए। उन्होंने इसकी निंदा की।’’


अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए कानून-व्यवस्था और सुरक्षा निर्वाचित सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह जिम्मेदारी किसकी है? उपराज्यपाल की। ​​इसलिए, स्पष्ट रूप से सत्ता के तीन केंद्र हैं, जिन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करने की आवश्यकता है कि यहां चीजें सुचारू रूप से चलें। मैं पर्यटन को बढ़ावा दे सकता हूं, मैं बुनियादी ढांचे का निर्माण कर सकता हूं, मैं यह सुनिश्चित कर सकता हूं कि पर्यटक आएं और अच्छी यात्रा करें, लेकिन पर्यटकों की सुरक्षा वर्तमान में उपराज्यपाल की शक्तियों के भीतर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यही वह बिंदु है जिसे मैंने उठाया था कि केंद्र सरकार, यहां की निर्वाचित सरकार और केंद्र सरकार जिसका प्रतिनिधित्व राजभवन द्वारा किया जाता है ... हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है कि 22 अप्रैल को जो हुआ वह फिर न हो।’’

मुख्यमंत्री ने इन अटकलों को खारिज किया कि निर्वाचित सरकार और राजभवन के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं।

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