तमिलनाडु: एमके स्टालिन को मिली पिता की विरासत, डीएमके अध्यक्ष बनने के बाद कहा, मोदी सरकार को सिखाएंगे सबक 

तमिलनाडु के मुख्य विपक्षी दल डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) की कमान मंगलवार को औपचारिक तौर पर एमके स्टालिन के हाथ में आ गई। वे जनवरी 2017 से अब तक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष थे।

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नवजीवन डेस्क

एमके स्टालिन को मंगलवार को पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक में निर्विरोध द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) का अध्यक्ष चुना गया। स्टालिन द्रमुक के दूसरे अध्यक्ष हैं। यह पद उनके पिता और पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि के निधन से खाली हुआ था। उनके दिवंगत पिता एम करुणानिधि पार्टी के अध्यक्ष के पद पर 49 सालों तक बने रहे। करुणानिधि का 7 अगस्त 2018 के निधन हो गया था।

द्रमुक के महासचिव के अंबाझगन ने कहा कि पार्टी के 1,307 अधिकारियों ने स्टालिन की उम्मीदवारी का समर्थन किया। वरिष्ठ नेता दुराईमुरुगन को निर्विरोध पार्टी का कोषाध्यक्ष चुना गया।

डीएमके अध्यक्ष ने अपने पहले भाषण में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संस्थानों को बर्बाद करने का आरोप लगाया और साथ ही अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से मोदी सरकार को सबक सिखाने की अपील की। स्टालिन ने कहा, “आज के राजनीतिक हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। शिक्षा, कला, साहित्य, धर्म सब पर सांप्रदायिक ताकतों द्वारा हमला हो रहा है। केंद्र सरकार न्यायपालिका और राज्यपालों की नियुक्ति को अस्थिर करना चाहती है। इसने हमारे देश के सेक्युलर ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। आइए मिलकर मोदी सरकार को सबक सिखाते हैं।”

इसके साथ ही डीएमके के जनरल काउंसिल की मीटिंग में पार्टी कार्यकर्ताओं ने एक संकल्प-पत्र पास करके करुणानिधि को भारत रत्न दिए जाने की मांग की है।

स्टालिन के डीएमके अध्यक्ष चुने जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें बधाई दी है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “एमके स्टालिन को डीएमके का अध्यक्ष चुने जाने की बधाई। मैं उनके राजनीतिक सफर में नये अध्याय की शुरुआत होने पर उनकी खुशहाली और सफलता की कामना करता हूं।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी स्टालिन को नई जिम्मेदारी मिलने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं।

दूसरी ओर उनके बड़े भाई एमके अलागिरी अब भी उन्हें चुनौती देते दिख रहे हैं। उन्होंने सोमवार को ही डीएमके नेतृत्व के लिए खुली चुनौती जारी की थी। अलागिरी ने कहा था, “कलैनार (करुणानिनिधि) अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी अनुपस्थिति में पार्टी को बचाने और सुरक्षित रखने की जरूरत है। मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूं वह पार्टी के समर्थक वर्ग को बचाए रखने के लिए कर रहा हूं। इसलिए मौजूदा नेतृत्व से यही कहना है कि अगर उन्होंने मुझे डीएमके में वापस नहीं लिया तो नतीजे कुछ भी हो सकते हैं। ये नतीजे उन्हें ही भुगतने होंगे।”

वही जनरल काउंसिल ने इसकी घोषणा करने से पहले करुणानिधि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान और करुणानिधि के निधन की खबर से सदमे में आकर मरे पार्टी के कार्यकर्ताओं और स्टेरेलाइट कॉपर स्मेलटर प्लांट के विरोध के दौरान मारे गए प्रदर्शनकारियों के निधन पर पर शोक जताया।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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Published: 28 Aug 2018, 4:22 PM
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