तेजस्वी ने जातीय जनगणना के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, नीतीश के खत का जवाब नहीं देने को बताया उनका अपमान

तेजस्वी ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पत्र का पीएम द्वारा जवाब नहीं देने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार है, केंद्र की सत्ता भी एनडीए के पास है, ऐसे में मुख्यमंत्री को पीएम से समय नहीं मिल रहा तो ये उनका अपमान है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत में आया उबाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव नेप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जातीय जनगणना कराने की मांग की है। साथ ही तेजस्वी ने इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार द्वारा पीएम को लिखे गए पत्र का अब तक जवाब नहीं मिलने को उनका अपमान करार दिया।

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी, तो पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का न तो सही आकलन हो सकेगा और न ही उनकी बेहतरी और उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा। उन्होंने आगे कहा कि जनगणना नहीं होने की स्थिति में उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन भी नहीं होगा।

अपने पत्र में तेजस्वी ने जिक्र करते हुए कहा कि 90 साल पहले जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। इस कारण अब यह समय और बहुसंख्यक आबादी की मांग है। तेजस्वी ने यह भी बताया कि इस मांग और प्रस्ताव पर बीजेपी सहित बिहार के सभी राजनीतिक दलों के निर्वाचित सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सर्वसम्मति से एक स्वर में दो बार इसका प्रस्ताव विधानसभा में पास करवाकर केंद्र सरकार को भेजा है।

तेजस्वी ने पत्र में कहा है कि 2019 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी देश को 2021 में जातीय जनगणना कराने का ठोस आश्वासन दिया था। तेजस्वी ने पत्र के अंत में विश्वास जताते हुए कहा कि उम्मीद है कि आप बिहार राज्य की जनभावना को ध्यान में रखते हुए और बिहार विधानसभा द्वारा पास किए गए प्रस्ताव के अनुसार जातिगत आधार पर जनगणना कराएंगे।


साथ ही तेजस्वी ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पत्र का पीएम द्वारा जवाब नहीं देने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री का अपमान है। उन्होंने कहा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर चार अगस्त को मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री की तरफ से मिलने का समय नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार है, केंद्र की सत्ता भी एनडीए के पास है, ऐसे में मुख्यमंत्री को समय नहीं मिल रहा तो ये उनका अपमान है।

गौरतलब है कि विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान आरजेडी, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर जातीय जनगणना को लेकर ठोस कदम उठाने की मांग की थी। उस समय नीतीश ने आश्वासन दिया था कि वह प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगेंगे। इसके बाद नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलने का समय देने की मांग की थी। लेकिन कहा जा रहा है कि अब तक उस पत्र का जवाब नहीं आया है।

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