जीत की सुगंध, मगर किसान सावधान, बोले- हम कच्ची फसल नहीं काटते, ठोक-बजाकर फैसला लेंगे

विवादित कृषि कानूनों की वापसी पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि उन्होंने पहला मोर्चा जीत लिया है, मगर लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उनका कहना है कि बीजेपी ने यूपी समेत कई राज्यों के चुनाव में नुकसान की आशंका को देखते हुए ये फैसला लिया है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा की चर्चा गांव- गांव हो रही है। आज सुबह इस ऐलान के बाद किसानों में खुशी का माहौल है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि उन्होंने लड़ाई का पहला मोर्चा जीत लिया है, मगर लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। वे किसान नेता राकेश टिकैत के संसद में कानून रद्द होने के बाद घर वापसी के निर्णय की सराहना कर रहे हैं। किसान कह रहे हैं बिना पक्की लिखा-पढ़ी के घर वापस आना ठीक नहीं है।

मुजफ्फरनगर के भुम्मा गांव के किसान लोकेन्द्र गुर्जर का कहना है कि आज सुबह जब उन्होंने अपने मोबाइल पर यह खबर देखी तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार की हठधर्मिता की एक छवि बनी हुई है। वो किसानों पर कई प्रकार के शर्मनाक आरोप लगाते रहे हैं। अब जब उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की बात की है तो यह बात उतनी सीधी लग नहीं रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद हम किसान नेता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे थे। राकेश टिकैत एक मंझे हुए नेता हैं, उन्होंने बहुत सही निर्णय लिया है। सरकार से मजबूत लिखा-पढ़ी में पक्की बात होनी चाहिए। नेताओं की जबान का क्या है वो तो जुमला ही सकती हैं।

इसी गांव के रविश चौधरी ने बताया कि किसान बहुत सहनशीलता रखने वाली कौम है। कोई भी सरकार हमारी धैर्य की परीक्षा नहीं ले सकती। हमारा धैर्य बेमिसाल है। हम फसल का अंकुर डालते हैं और बेहद सब्र के साथ उसका इंतजार करते हैं। हम कच्ची फसल नहीं काटते हैं। फसल को पूरा पक्का होने देते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा ये कानून वापस लेने का जबानी बयान आया है। कानून को सदन में रद्द होने की राकेश टिकैत जी की बात बहुत परिपक्व है। हम थोड़ा और इंतजार करेंगे मगर फसल कच्ची नहीं काटेंगे।

जीत की सुगंध, मगर किसान सावधान, बोले- हम कच्ची फसल नहीं काटते, ठोक-बजाकर फैसला लेंगे

खेड़ी सराय गांव के बंटी का कहना है कि पहले तो मोदी जी किसानों से बातचीत भी नहीं कर रहे थे, आज अचानक उन्होंने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी। मैं खेत में काम कर रहा था और मुझे एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ। सबकुछ जो दिख रहा है उतना आसान लग नहीं रहा। किसानों को बहुत बुरा-भला कहा गया है। उन पर तरह-तरह के आरोप लगे हैं। उन पर गाड़ियां तक चढ़ा दी गई हैं। मोदी सरकार की छवि पीछे हटने की नही हैं। अगर वो ऐसा कर रहे हैं तो हमारे नेता करीब से समझ रहे होंगे। आशा है हमारे नेता जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे।

किसानों की राजधानी कही जाने वाली सिसौली में भी कृषि कानूनों को वापस लेने पर अच्छा माहौल दिखाई दे रहा है। यहां चौधरी नरेंद्र बालियान ने बताया कि किसानों को यह कामयाबी मिली है। इस कामयाबी के पीछे सबसे बड़ी वजह यह रही है कि किसान जाति और धर्म के आधार पर नहीं बंटा और पुरी तरह किसान रहा। किसान के नाम पर एकजुट रहने के कारण तमाम षड्यंत्र नाकामयाब हो गए। अब किसानो ने पहला मोर्चा जीत लिया है मगर वो पूरी लड़ाईजीतकर ही वापस आएंगे। कानूनों का संसद में रद्द होना ही बड़ी जीत होगी।

जीत की सुगंध, मगर किसान सावधान, बोले- हम कच्ची फसल नहीं काटते, ठोक-बजाकर फैसला लेंगे

बुढ़ाना के किसान प्रमोद चौधरी ने इस फैसले को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया। उनका कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार दबाव में है। हाल के उपचुनाव में मिली करारी हार और आने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार की सुगबुगाहट के चलते भाजपाइयों के पंखे उखड़ गए हैं। बीजेपी सरकार को किसानों की नाराजगी का भय लग रहा है। किसान यह अच्छी तरह समझ रहा है। हमारे नेता भी यह ताड़ गए हैं। यह बयान चुनावी जुमला नहीं होना चाहिए। किसानों से कायदे से बातचीत होनी चाहिए। पिछले कुछ समय से किसानों का बहुत अपमान किया गया है। प्रधानमंत्री को पहले उन सभी बातों के लिए अन्नदाताओं से माफी मांगनी चाहिए।

पुरकाजी से जहीर फारूकी का कहना है कि सरकार चुनाव के बाद संशोधन के नाम पर कानून को फिर से ला सकती है। इस समय चुनाव के चलते बीजेपी सरकार पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यो में भारी नुकसान की संभवना से डरी हुई है। मगर किसानों ने लंबा संघर्ष किया है और वो और भी अधिक संघर्ष करने का माद्दा रखते हैं। लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, मगर किसानों ने सरकार के अहंकार को तोड़ दिया गया है। उम्मीद है अब कुछ लोगों को गोला लाठी का मतलब भी समझ मे आ गया होगा!

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