दिल्ली में आज साल की सबसे सर्द सुबह, पारा गिरा 4.2 डिग्री पर, 100 साल पुरानी ठंड लौटी, ठिठुरा उत्तर भारत

साल 2019 के आखिरी गुरुवार की रात सीजन की सबसे सर्द रात रही तो वहीं शुक्रवार सुबह 5.30 बजे तापमान में और गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार सुबह तापमान 4.2 रिकॉर्ड किया गया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली को ठंड और कोहरे के दोहरे वार झेलने पड़ रहे हैं। साल के आखिर में लगातार तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसके कारण लोगों को ठंड का सामना करना पड़ा। साल 2019 के आखिरी गुरुवार की रात सीजन की सबसे सर्द रात रही तो वहीं शुक्रवार सुबह 5.30 बजे तापमान में और गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार सुबह तापमान 4.2 रिकॉर्ड किया गया।

यह दिसंबर पिछले 100 सालों के दौरान दूसरा सबसे ठंडा दिसंबर बनने जा रहा है। 1901 से 2018 तक सिर्फ चार मौकों पर दिसंबर का अधिकतम औसत तापमान 20 डिग्री से नीचे गया है। इस साल यह 26 दिसंबर तक 19.85 डिग्री है, जबकि 31 दिसंबर तक यह महज 19.15 डिग्री ही रह सकता है। ऐसा इससे पहले 1919, 1929, 1961 और 1997 में हुआ था।


मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस साल दिसंबर में गुरुवार तक औसत तापमान 19.85 डिग्री रहा और इसके 31 दिसंबर तक 19.15 डिग्री तक गिरने की संभावना है। उन्होंने बताया कि अभी तक 1997 का दिसंबर 1901 के बाद सबसे ठंडा दिसंबर था जब औसत तापमान 17.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर राजेंद्र जेनामणि ने कहा, “यह लंबी अवधि है, जिसकी प्रकृति अनोखी है और यह पूरे उत्तर पश्चिम भारत पर असर डालेगी।” गंगा के मैदानी क्षेत्रों में घना कोहरा और हिंद महासागर की असामान्य वार्मिग पश्चिमी विक्षोभ के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले उष्णकटिबंधीय तूफान से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरपश्चिम भाग में अचानक से ठंड के मौसम में बरसात हुई, जिससे देश के कुछ शहरों में दिन का तापमान 12 डिग्री से नीचे हो गया।


वरिष्ठ वैज्ञानिकों को आशंका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की बेरुखी सामने आई है और अप्रत्याशित मौसम की यह स्थिति लोगों को परेशान करती रहेगी। पुणे के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज रिसर्च (सीसीसीआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर भूपिंदर बीसिंह ने कहा, “जलवायु परिवर्तन पश्चिमी विक्षोभ की तीव्रता और आवृत्ति को प्रभावित कर रहा है, और यह आने वाले सालों में पारे को नीचे ला सकता है, जबकि मध्य व दक्षिण भारतीय क्षेत्र ज्यादा गर्म हो सकते हैं।”

डॉक्टर सिंह का अनुमान है कि आने वाले सालों में हिमालयी क्षेत्र व गंगा के मैदानी क्षेत्र जिसमें पूरा उत्तर भारत शामिल है, मौसम को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो सकते हैं और यहां के लोगों को मौसम की बेरुखी झेलनी पड़ सकती है।

डॉ जेनामणि ने कहा, “आम तौर पर ज्यादा ठंड की अवधि 5 या 6 दिनों होती है। लेकिन इस साल 13 दिसंबर से तापमान में गिरावट जारी है। यह अप्रत्याशित है। हालांकि, अब ऐसा लगता है कि 31 दिसंबर के बाद ही राहत मिल सकती है।”


वैज्ञानिकों का मानना है कि 16 से 17 दिनों से अधिक समय तक इस तरह के ठंडे मौसम का होना असामान्य है। भीषण शीतलहर से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सामान्य जीवन प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश में बीते 48 घंटों में 38 लोगों के मौत की सूचना है। हालांकि विभिन्न जिलों से कुल मौतों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। शीतलहर ने बिहार को भी चपेट में ले लिया है, जहां पटना, गया, भागलपुर और पूर्णिया जिलों में पारे में असामान्य गिरावट की वजह से कई मौतें हुईं हैं।

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Published: 27 Dec 2019, 9:07 AM