सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति पहुंची खनौरी बॉर्डर, आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल से की मुलाकात
जस्टिस (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह ने डल्लेवाल से मुलाकात के बाद कहा कि मैं आज यहां यह कहने नहीं आया हूं कि आंदोलन समाप्त हो जाना चाहिए, बल्कि यह कहने आया हूं कि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहना चाहिए। मैंने उनसे यह भी कहा कि जब भी वह कहेंगे, हम यहां मौजूद रहेंगे।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित हाईलेवल कमेटी ने सोमवार दोपहर बाद खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की। रिटायर्ड जस्टिस नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने बैठक के दौरान बीमार किसान नेता डल्लेवाल से चिकित्सा सहायता लेने का अनुरोध किया।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह ने डल्लेवाल से मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, ‘‘हम वाहेगुरु से प्रार्थना करते हैं कि वह स्वस्थ रहें।’’ संवाददाताओं ने जब यह पूछा कि क्या डल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता लेने पर हामी भर दी है, तो न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह ने कहा, ‘‘हम सभी ने उनसे कई बार चिकित्सा (सहायता) के लिए अनुरोध किया। हम चाहते हैं कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज यहां यह कहने नहीं आया हूं कि आंदोलन समाप्त हो जाना चाहिए, बल्कि यह कहने आया हूं कि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहना चाहिए। मैंने उनसे यह भी कहा कि जब भी वह कहेंगे, हम यहां मौजूद रहेंगे।’’ न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सिंह ने बताया कि डल्लेवाल ने समिति से कहा कि उनके लिए कृषि पहले है और उनका स्वास्थ्य बाद में। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने समिति का गठन किया था।
डीआईजी पटियाला मनदीप सिंह सिद्धू ने मुलाकात के बाद कहा, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय समिति खनौरी सीमा पर पहुंची और बैठक बहुत अच्छी रही। उन्होंने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की शिकायतों को सुना और उन्होंने (जगजीत सिंह डल्लेवाल) चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया। समिति ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से चिकित्सा सहायता लेने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
इससे पहले आज पंजाब सरकार द्वारा शीर्ष कोर्ट को 70 वर्षीय किसान नेता के साथ निर्धारित बैठक के बारे में सूचित करने के बाद अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने अपराह्न करीब 3.30 बजे उनसे मुलाकात की। पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को सूचित किया कि प्रदर्शनकारी किसानों को न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह से मिलने के लिए राजी कर लिया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह शीर्ष अदालत द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष हैं।
कपिल सिब्बल ने कहा, ‘‘हममें से कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे लोगों को आज अपराह्न तीन बजे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली समिति से मिलने के लिए राजी करने में सफल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इससे गतिरोध दूर होगा। कृपया इस मामले की सुनवाई कुछ दिनों बाद करें।’’ यह सुनते ही पीठ ने कहा, ‘‘हमें आशा और प्रार्थना करनी चाहिए कि सभी को सद्बुद्धि आएगी।’’ अदालत ने सिब्बल से विचार-विमर्श का संक्षिप्त नोट तैयार करने को कहा और सुनवाई की तारीख 10 जनवरी तय की। केंद्र का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समिति बैठक के आए नतीजों का संक्षिप्त ब्योरा दाखिल करेगी।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक डल्लेवाल फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 26 नवंबर 2024 से आमरण अनशन पर हैं। डल्लेवाल ने पंजाब सरकार द्वारा की गई चिकित्सा सहायता की पेशकश को ठुकरा दिया है। कुछ स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं उत्पन्न होने के कारण उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।
उच्चतम न्यायालय ने 20 दिसंबर को कहा था कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला पंजाब सरकार के अधिकारियों और चिकित्सकों को लेना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि डल्लेवाल को खनौरी सीमा पर धरना स्थल के 700 मीटर के भीतर स्थापित अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने सितंबर 2024 में प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों का सौहार्दपूर्ण समाधान करने के उद्देश्य से समिति का गठन किया था।
समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कृषि संकट के विभिन्न कारणों की ओर ध्यान आकर्षित किया और स्थिर उपज, बढ़ती लागत, कर्ज और अपर्याप्त विपणन प्रणाली जैसे कारण सूचीबद्ध किए। समिति में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी बी. एस. संधू, कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा, प्रोफेसर रंजीत सिंह घुमन और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री डॉ सुखपाल सिंह भी शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान पिछले साल 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। पिछले साल 13 फरवरी को सुरक्षा बलों ने उन्हें दिल्ली कूच करने से रोक दिया था, जिसके बाद से किसान वहीं बैठे हुए हैं। इसके बाद पिछले साल नवंबर में किसानों ने एक बार फिर जत्थों में दिल्ली कूच का ऐलान किया, लेकिन सुरक्षा बलों भारी बल प्रयोग कर किसानों को रोक दिया।
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