पाखंड की पराकाष्ठा: चर्च में मोदी और उसी दौरान बीजेपी शासित राज्यों में ईसाइयों पर हो रहे हैं हमले
बीते दो सप्ताह के दौरान हिंदुत्व समूहों ने क्रिसमस के मौके पर इसके जश्न में न सिर्फ खलल डाला बल्कि तोड़फोड़ आदि कर एक सोची-समझी योजना के तहत डर का माहौल पैदा किया है।

क्रिसमस की पूर्व संध्या पर देश के अलग-अलग इलाकों में ईसाइयों के खिलाफ़ टारगेटेड हमलों की परेशान करने वाली कई घटनाएं हुईं। इस दौरान कई राज्यों में चर्चों में तोड़फोड़ की गई, क्रिसमस सेलिब्रेशन में रुकावट डाली गई और इबादत करने वालों को डराया-धमकाया गया। आरएसएस और बजरंग दल से जुड़े कार्यकर्ताओं पर इन हमलों का नेतृत्व करने का आरोप लगा है। इस दौरान वर्जिन मैरी और जीसस क्राइस्ट की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया गया, प्रार्थना सभाओं पर हमला किया गया और आम नागरिकों को परेशान किया गया। खास बात यह है कि इनमें से ज़्यादातर घटनाएं भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में रिपोर्ट की गईं।
और रोचत तथ्य यह है कि यह सब ऐसे समय हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के एक कैथेड्रल में सुबह की प्रार्थना में हिस्सा लिया। यह एक ऐसा कदम था जो देश में दूसरी जगहों पर धमकियों, हिंसा और अपमान का सामना कर रहे कई ईसाइयों के लिए एक खोखला दिखावा भर था। मोदी ने खुद इस प्रार्थना सभा की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा कि क्रिसमस का मौका जश्न मनाने और दयालुता दिखाने का अवसर होता है।
लेकिन बीतो करीब दो सप्ताह के दौरान हिंदुत्व समूहों ने क्रिसमस के त्योहार में हिंदुत्व का दबदबा दिखाने के लिए एक तय तरीके से अभियान चलाते हुए हमले किए।
बीजेपी शासित छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मैग्नोटो मॉल में कल यानी क्रिसमस की पूर्व संध्या पर भगवा वेशधारी 30-40 लोगों ने अचानक मॉल में घुसकर क्रिसमस पर की गई सजावट को तहस-नहस करना शुरु कर दिया। उन्होंने मॉल में जमकर तोड़फोड़ की और क्रिसमस के डेकोरेशन को बिगाड़ कर रख दिया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। दरअसल धर्मांतरण के खिलाफ रायपुर में बंद का ऐलान किया गया था। बताया जा रहा है कि बंद के आह्वान के बहाने क्रिसमस सेलिब्रेशन को निशाना बनाया गया है।
इसी किस्म के एक वायरल वीडियो में दिखाया गया कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में क्रिसमस कार्यक्रम के दौरान शहर बीजेपी उपाध्यक्ष अंजू भार्गव ने एक दृष्टिहीन महिला को सबके सामने गाली दी और उस पर हाथ उठाया। बताया गया कि यहां भी 'हिंदुत्व भीड़ ने चर्च के अंदर 'जय श्री राम' के नारे लगाए और फर्नीचर तोड़फोड़ की।
ऐसी ही एक घटना में झाबुआ में ईसाइयों को क्रिसमस के मौके पर कैरल सिंगिंग की इजाजत नहीं दी गई। इसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दखल देते हुए ईसाइयों के इस अधिकार की रक्षा की।
उधर ओडिशा के भुवनेश्वर में सेंटा क्लॉज़ की टोपी और क्रिसमस का सामान बेचने वाले फड़वालों को कुछ लोगों ने धमकाया। इन लोगों ने भारत को "हिंदू राष्ट्र" बताते हुए कहा कि ईसाई सामान बेचने का किसी को हक नही हैं।
उत्तर प्रदेश के बरेली में हिंदुत्ववादी भीड़ एक चर्च के बाहर जमा हो गई और हनुमान चालीसा का जाप करने लगी, जिससे डर का माहौल बन गया। उधर दिल्ली से सटे गाजियाबाद में, पादरी राजू सदाशिवम और उनकी पत्नी को प्रार्थना करने से रोका गया और ईसाई धर्म के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करते हुए उनकी आस्था पर सवाल उठाए।
14 दिसंबर को, RSS और बजरंग दल के सदस्यों ने बिछीवाड़ा गांव में सेंट जोसेफ कैथोलिक चर्च में रविवार की प्रार्थना में बाधा डाली, सर्विस के बीच में ही परिसर में घुस गए, पैरिश पर "जबरन धर्मांतरण" का आरोप लगाया और पादरियों और उपासकों का सामना किया।
उत्तराखंड के राजस्थान हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा चलाए जा रहे एक होटल में क्रिसमस समारोह के कार्यक्रम को हिंदू संगठनों की धमकी के बाद रद्द कर दिया गया। हिंदुत्व समर्थकों का कहना था कि ऐसे कार्यक्रम से "पवित्र शहर" में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है।
दिल्ली में भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सांता टोपी पहने ईसाई महिलाओं पर सार्वजनिक स्थान पर "धर्मांतरण" का आरोप लगाया और उन्हें वहां से जाने के लिए मजबूर किया, जबकि महिलाओं ने जोर देकर कहा कि वे केवल क्रिसमस की खुशी फैला रही थीं। यह वीडियो वायरल हो गया।
इन निरंतर हमलों के बाद जो सबसे चिंताजनक बात है वह यह कि इससे एक खास किस्म का वैचारिक माहौल बनाया जा रहा है, जिसमें अल्पसंख्यकों को भयभीत करने की योजना साफ नजर आती है।
कैथोलिक कनेक्ट नाम के एक राष्ट्रीय कैथोलिक प्लेटफॉर्म ने एक बयान में कहा, "भारत को 'हिंदू राष्ट्र' घोषित करने की मांगें अब दबे स्वर में नहीं की जातीं; ये सत्ता से जुड़े लोगों द्वारा खुले तौर पर, बार-बार और बिना किसी उकसावे के की जाती हैं। इस माहौल में, संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता - जो गणतंत्र का एक मूलभूत स्तंभ है - को खोखला किया जा रहा है।" इसके अलावा कई ईसाई संगठनों ने दावा किया कि "जबरन धर्मांतरण" के आरोप बिना सबूत के नियमित रूप से लगाए जाते हैं, और इनका इस्तेमाल उत्पीड़न और भीड़ हिंसा को सही ठहराने के लिए हथियार के तौर पर किया जा रहा है। कई मामलों में, कानून प्रवर्तन एजेंसियां अनिच्छुक या चुनिंदा रूप से निष्क्रिय दिखती हैं, और पीड़ितों की रक्षा करने के बजाय उन्हें ही बुरा-भला कहती हैं।
कई विपक्षी नेताओं ने हमलों की निंदा की है और हिंदुत्व संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि ईसाइयों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाना कोई अपवाद नहीं है, बल्कि भारत की पहचान को फिर से परिभाषित करने की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा है – जिसमें एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य को एक बहिष्करणवादी बहुसंख्यक राज्य में बदलने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस महासचिव केवी वेणुगोपाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "नफरत और जहर बीजेपी का क्रिसमस का तोहफा है। यह सभी अल्पसंख्यकों के लिए एक चेतावनी है कि बीजेपी का संकीर्ण, नफरत भरा एजेंडा भारत की अनेकता को बर्दाश्त नहीं कर सकता और जो भी उनके नफरत भरे नज़रिए में फिट नहीं होगा, उस पर लगातार हमला करेगा।"
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