घर के मासिक बजट को बिगाड़ कर रख देगी GST की बढ़ी हुई दर, समझें अब कितने रुपए खर्च होंगे आपके

सरकार के जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को लागू कर देने के बाद रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ गए। इसकी मार आम आदमी पर पड़ी है और घर की रसोई का बजट गड़बड़ा गया है।

फोटो: Getty Images
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विनय कुमार

खाद्यान्न और पहले से पैक किए गए खाद्य पदार्थों पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद अब उनकी कीमतों में इजाफा हो जाएगा। वे सभी उत्पाद, जिन पर जीएसटी दरों को बढ़ाया गया है, वे ऐसे आइटम हैं, जिनका दैनिक उपभोग किया जाता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यह अनुमान है कि घरेलू बजट में प्रति माह 1,000 रुपये से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है।

ऐसे समझे, कैसे जेब पर पड़ेगा बोझ

अब आटा, चावल और दाल महंगी हो जाएंगी। उदाहरण के लिए 20 किलो के आटे की कीमत 630 रुपये से 650 रुपये हो जाएगी, जो पहले 600 रुपये प्रति बैग थी। इसके अलावा परिष्कृत (रिफाइंड) आटे की कीमतों में भी इजाफा होगा। इसी तरह चावल, जिसकी कीमत 25 किलो के बैग के लिए 1300 से 1600 रुपये है, उसकी कीमत 1400 रुपये से 1800 रुपये होगी।

दालों की कीमत 5 से 7 रुपये प्रति किलो अधिक होगी। आटा मिल मालिकों का कहना है कि जीएसटी से पहले एक क्विंटल की कीमत लगभग 2600 रुपये थी, लेकिन अब खुदरा विक्रेता को 2730 रुपये खर्च करने होंगे।

दर में 5 फीसदी की बढ़ोतरी का असर मार्च 2014 की तुलना में दर के हिसाब से हर घर पर पड़ेगा। आटा जिसकी कीमत 20 रुपये प्रति किलो थी, अब 28 रुपये की कीमत हो चुकी है, इसी तरह 400 ग्राम दही की कीमत अब 40 रुपये है, जबकि देसी घी की कीमत लगभग 650 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाएगा, जो कि 2014 के आसपास 350 रुपये प्रति किलो था।

खाद्य पदार्थ ही नहीं, बल्कि साबुन और डिटर्जेंट से लेकर सरसों और सूरजमुखी के तेल की कीमत भी अब ज्यादा होगी।

पूर्व-पैक और पूर्व-लेबल वाले खाद्यान्न, मछली, पनीर, लस्सी, शहद, गुड़, गेहूं का आटा, छाछ, अनफ्रोजन मीट/मछली, और मुरमुरे (मुरी) के लिए छूट वापस लेने के कारण दर में वृद्धि की गई है। इन पर अब ब्रांडेड वस्तुओं के बराबर 5 प्रतिशत कर लगेगा।


इसके अलावा होटल और अस्पताल के बिल बढ़ेंगे। नई संशोधित दरों ने होटल में ठहरने के लिए प्रतिदिन 1,000 रुपये तक की छूट वापस ले ली है। अब इस पर 12 फीसदी टैक्स लगेगा। ऐसे में अब उपभोक्ता को एक होटल के 1000 रुपये के बिल पर 120 रुपये अधिक चुकाने होंगे।
वहीं अस्पतालों में गैर आईसीयू बेड, जो प्रतिदिन 5000 रुपये से अधिक हैं, वे महंगे होंगे।

स्याही, चाकू, पेंसिल के दाम भी बढ़ जाएंगे। प्रिंटिंग, राइटिंग या ड्रॉइंग इंक, कटिंग ब्लेड वाले चाकू, चम्मच, कांटे, पेपर चाकू, पेंसिल शार्पनर और एलईडी लैंप पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। सोलर वॉटर हीटर पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा।

पेय पदार्थ भी बढ़े हुए टैक्स से नहीं बच पाए हैं। तरल पेय और डेयरी उत्पादों की पैकेजिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले टेट्रा पैक पर अब 12 प्रतिशत के बजाय 18 प्रतिशत जीएटी लगेगा।

कृषि के लिए उत्पाद और मशीनों की बात करें तो कृषि उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से बीज की सफाई, छंटाई और ग्रेडिंग के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनों की दर, कुटीर उद्योग आटा चक्की में उपयोग की जाने वाली मशीनें जो पवन ऊर्जा और गीली ग्राइंडर से संचालित होती हैं, पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जो पहले महज 6 प्रतिशत था।

क्लीनिंग अंडों की छंटाई, फ्रूट एंड मिल्किंग मशीनों और डेयरी मशीनरी में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरणों पर जीएसटी 6 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। बिजली से चलने वाले पंप जैसे सेंट्रीफ्यूगल पंप, डीप ट्यूबवेल टर्बाइन पंप, सबमर्सिबल पंप 6 फीसदी महंगे होंगे।

वित्तीय सेवाएं और कार्य अनुबंध के बारे में बात करें तो उनमें सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो आदि के लिए काम का अनुबंध शामिल है, जिस पर अब 18 प्रतिशत कर लगेगा। इसके अलावा आरबीआई, आईडीआरए और सेबी सेवाओं पर भी जीएसटी में बढ़ोतरी होगी।

कैसीनो पर जीएसटी की समीक्षा की जा रही है। मंत्रियों के समूह ने कैसीनो, घुड़दौड़ और लॉटरी पर एक समान 28 प्रतिशत जीएसटी को अंतिम रूप दिया था। इस निर्णय की समीक्षा की गई है, और मंत्रियों के समूह को अपने निर्णय की समीक्षा के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है।

दरों में कटौती पर बात की जाए तो माल और रोपवे के परिवहन पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। जिन ट्रकों या मालवाहक वाहनों में ईंधन की लागत शामिल है, उनका किराया कम होगा, क्योंकि कर 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।

ओस्टोमी उपकरणों और आर्थोपेडिक उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।


कांग्रेस ने कहा कि मई 2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति (महंगाई) 7.04 प्रतिशत थी और अप्रैल 2022 में 7.79 प्रतिशत थी। विपक्षी पार्टी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ये आरबीआई द्वारा निर्धारित 6 प्रतिशत की अधिकतम सीमा से कहीं अधिक है।

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