संसद का मानसून सत्र 15 अगस्त से पहले संभव नहीं, संचालन के लिए पहले जारी होगी प्रक्रिया

संसद सत्र के संचालन पर अंतिम फैसला लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा सभापति के स्तर से होगा। इसके लिए दोनों के बीच जून से लेकर अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अफसर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ संसद सत्र के आयोजन की रूपरेखा बनाने में जुटे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

संसद का मानसून सत्र स्वतंत्रता दिवस बीत जाने के बाद ही संभव होता दिख रहा है। खबर है कि 15 अगस्त से 23 सितंबर के बीच मानसून सत्र संचालन की तारीख का ऐलान होगा। तैयारियां भी उसी के अनुसार चल रही हैं। मानसून सत्र के संचालन के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) भी जारी होगा और उसी के तहत सांसदों को संचालन में भाग लेना होगा।

बीजेपी के कई सांसदों ने बातचीत के दौरान बताया कि 15 अगस्त के बाद ही मानसून सत्र चलने की सूचनाएं आ रही हैं। उससे पहले आयोजन संभव नहीं है। नियम है कि दो संसद सत्र के बीच छह महीने का अंतर नहीं हो सकता है। कोरोना संकट के कारण बजट सत्र 23 मार्च को खत्म हुआ था, इसलिए ऐसे में 23 सितंबर से पहले मानसून सत्र का संचालन जरूरी है।

संसद सत्र कैसे संचालित होगा, इसका अंतिम फैसला लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा सभापति के स्तर से होगा। इसके लिए दोनों के स्तर से पूरी तैयारियों की मॉनिटरिंग की जा रही है। राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के बीच जून से लेकर अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं। लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अफसर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ संसद सत्र के आयोजन की रूपरेखा बनाने में जुटे हैं।

हालांकि, कोरोना संकट के कारण ठप चल रही संसदीय समिति की बैठकें भी जुलाई से शुरू हो चुकी हैं। संसदीय समिति की बैठकों के दौरान सांसदों के बीच छह फिट की दूरी मेंटेन की जा रही है। अब नियमित तौर पर संसदीय समितियों की बैठकें चल रही हैं। माना जा रहा है कि संसद सत्र के संचालन के दौरान भी दो सांसदों के बीच उचित दूरी मेंटेन की जाएगी। सदन में एंट्री और बैठने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) भी जारी होगा।

बता दें कि अमूमन मानसून सत्र जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में होता आया है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण जुलाई में आयोजन संभव नहीं हुआ। ऐसे में अब अगस्त से सितंबर के बीच इसके आयोजन की तैयारियां चल रही हैं।

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