राजस्थान में सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा गिरने से मरने वाले बच्चों की संख्या 7 हुई, 35 बच्चे गए थे दब
गुस्साए स्थानीय निवासियों ने कहा कि उन्होंने स्कूल भवन की हालत के बारे में तहसीलदार और उपखंड अधिकारी सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार को सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा ढहने से सात बच्चों की मौत हो गई और 27 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
घटना जिले के मनोहरथाना ब्लॉक के पीपलोदी सरकारी स्कूल में हुई। बच्चे सुबह की प्रार्थना के लिए इकट्ठा हो रहे थे तभी छठी और सातवीं कक्षा की छत ढहने से इमारत का एक हिस्सा ढह गया, जिसमें लगभग 35 बच्चे दब गए।
घटना के बाद, दांगीपुरा और मनोहरथाना थाने के पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। मनोहरथाना के प्रभारी नंद किशोर वर्मा ने बताया, "अब तक सात बच्चों की मौत हो चुकी है।"
झालावाड़ जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर पीपलोदी गांव के सरकारी स्कूल में बच्चे सुबह की प्रार्थना के लिए इकट्ठा हो रहे थे, तभी छठी और सातवीं कक्षा की छत ढह गयी। घटना के बाद मलबे का ढेर लग गया। घबराए हुए शिक्षकों, अभिभावकों और आसपास के अन्य लोगों ने बच्चों को मलबे से निकालना शुरू किया।
घायलों को झालावाड़ अस्पताल और मनोहरथाना स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। पुलिस ने बताया कि करीब 12 छात्रों का अब भी इलाज जारी है। जिला अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि घायलों में से नौ का उपचार गहन चिकित्सा इकाई में किया जा रहा है।
इस मामले में कार्रवाई करते हुए, स्कूल के पांच कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया और मामले की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए गुराड़ी चौराहे पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने सड़क जाम कर दी और टायर जलाकर सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और अपने बच्चों को खोने वाले परिवारों को मुआवजा देने की मांग की।
इस बीच, राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने इस दुखद घटना का स्वतः संज्ञान लिया और झालावाड़ के जिला मजिस्ट्रेट, जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा निदेशक - बीकानेर और झालावाड़ के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किए। आयोग ने तथ्यात्मक रिपोर्ट, दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है।
आयोग ने कहा, "यह घटना प्रशासन की लापरवाही के कारण हुई। जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, उन्हें सरकार द्वारा एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।"
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि उन्होंने शिक्षा मंत्री को गांव का दौरा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि कोई भी स्कूल भवन जर्जर हालत में न हो।
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार समय-समय पर स्कूल भवनों के रखरखाव के लिए निर्देश जारी करती है। ज़िला अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि राज्य में कोई भी स्कूल भवन जर्जर हालत में न हो ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।"
गुस्साए स्थानीय निवासियों ने कहा कि उन्होंने स्कूल भवन की हालत के बारे में तहसीलदार और उपखंड अधिकारी सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
स्थानीय निवासी बालकिशन ने कहा, "यह प्रशासन की लापरवाही के कारण हुआ।" उन्होंने बताया कि वह सड़क किनारे बैठे थे तभी उन्होंने तेज धमाका सुना। उन्होंने कहा, "जब मैंने पीछे मुड़कर देखा, तो इमारत का एक हिस्सा ढह गया था और बच्चे चीख रहे थे। मैं और वहां मौजूद अन्य लोग इमारत की ओर दौड़े और बच्चों को बचाने के लिए स्लैब और पत्थर हटाने लगे।"
उन्होंने कहा, "वहां अफरा-तफरी मच गई। बच्चे रो रहे थे और हर कोई उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। हममें से कई लोग घायल छात्रों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए।" एक अन्य स्थानीय निवासी ने दावा किया कि प्रशासनिक मदद पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोगों ने फंसे बच्चों को निकालकर निजी वाहनों से स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा दिया था।
झालावाड़ के जिलाधिकारी अजय सिंह के अनुसार, जिला प्रशासन ने हाल ही में शिक्षा विभाग को किसी भी जर्जर स्कूल भवन की जानकारी देने का निर्देश दिया था, लेकिन यह भवन सूची में शामिल नहीं था। सिंह ने ‘ कहा, "मैं इसकी जांच करवाऊंगा और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
जिला अस्पताल के बाहर एक व्यक्ति ने रोते हुए कहा कि सरकारी मदद पहुंचने से पहले ही लोग बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल ले जा चुके थे। घायल छात्रों में उनका बेटा भी शामिल है। जिला अस्पताल के एक चिकित्सक ने बताया कि नौ घायल आईसीयू में हैं और उनमें से दो का ऑपरेशन हो चुका है, जबकि दो अन्य का ऑपरेशन जारी है।
एक स्कूली छात्रा ने बताया कि घटना के समय वह स्कूल के दूसरे कमरे में मौजूद थी। उसने कहा, ‘‘हमें समझ नहीं आया कि क्या हुआ। हम कक्षा से बाहर निकले और देखा कि दूसरी कक्षा ढह गई है।’’ एक अन्य छात्रा ने कहा कि स्कूल की दीवारों में पौधे उग आए थे और दीवारों में सीलन और रिसाव था।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे पर शोक जताते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “मनोहरथाना क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल की इमारत गिरने से कई बच्चों एवं शिक्षकों के हताहत होने की सूचना मिल रही है। मैं ईश्वर से कम से कम जनहानि एवं घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ देने की प्रार्थना करता हूं।”
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